लीजिये कविता दिवस आया भी और चला भी गया ...मुझे तो आज ही एक मित्र से पता चला की कल कविता-दिवस था ...कविता दिवस ...पर तो यही एक ख्याल आया की कविता है क्या ..बस इसी उधेड़ बुन में ये रचना बुनी मैंने ..अब आपको कैसी लगती है ये तो आप सब ही बताएँगे न :-) कविता दिवस की आप सभी कवि जनो को हार्दिक शुभकामनायें :-)
क्या मेरी सोच मेरी कहानी है कविता
या नए भाव..नए शब्द..मीठी सी वाणी है कविता
वो सुबह सवेरे हवाओ का चलना
और धीरे से मेरे कानो में घुलना
वो पंछियों की चहचहाहट
झुण्ड में पंख फैलाना
या पके आमो के बगीचे में
कोयल का कुहू कुहू गाना
क्या हवाएं कोई संदेसा हैं लाती
किसे कोयल अपना मधुर संगीत है सुनाती
हजारो जल तरंगे..बजाती है सरिता
हर चीज में मुझे सुनाई देती है कविता
क्या है कविता
प्यार की सेंक से ज़वा होती है ये
दर्द और पीड़ा शब्दों में जीती है ये
कभी आक्रोश बन के है निकलती
कभी व्यंग बाण से करे प्रहार
कभी सती ये कहलाये कभी कहलाये पतिता
कभी मरहम है लगाती
कभी रुलाती है कविता
मुझे तो अपने आंसुओ में भी सुनाई देती है कविता
------------------------पारुल'पंखुरी
सुन्दर, भावपूर्ण, रसदार, कसावदार कवितामय चित्रण कविता का कविता दिवस पर | शब्दों और भावों से खूब खिलवाड़ किया और सरस उपमाएं प्रदान की हैं कविता को | बधाई | बेहद आनंदमय प्रस्तुति | पढ़कर बहुत अच्छा लगा |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !!
ReplyDeleteयही है कविता
यही है कविता.....
सस्नेह
अनु
भाव और भावनाओं का व्यंजन ही कविता है
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
असल कविता तो यही है जो दिल से दिल को सुनाई देती है ...
ReplyDeleteये प्राकृति है जो जीवन देती है ...
पारुल: सुंदर रचना. हमारा पहला संवाद याद आ गया. :)
ReplyDeletehaan raju mere liye bhi ye kavita hamesha humare pehle samvaad ki yaad hi hai aur rahegi :-)
Delete:)
Deleteकविता हृदय से उपजा गीत
ReplyDeleteमिलन हो या हो विरह से प्रीत
मन के विचारों को मीठे सटीक शब्दों में लिखना ही कविता है,,बहुत ही सुंदर रचना,,,पंखुरी जी,,,
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें!
Recent post: रंगों के दोहे ,
अच्छी कविता ,,,भावपूर्ण!
ReplyDelete" कनखियों से देखें 'वो' ,
ReplyDeleteऔर मुस्कुरा दे ,
बस यही कविता है "
विचारणीय भाव .... शब्द गढ़ना सरल नहीं
ReplyDeletekavita dil se nikle shabdon ki pagdandi par chalti hai, ye aapki kavita bakhubi darshati hai, bahut sundar roop me aapne kavita ke arth ko aise mod pe laa chhoda..jahan se iske aur bhi kai arth nikalte hain, jo padhne vale pe nirbhar kartha hai ki vo kavita ko kis arth me dekhta hai.........beautiful!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeletebahut bahut shukriya arun ji :-)
Deleteaap sabhi ka bahut bahut shukriya :-)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteपधारें " चाँद से करती हूँ बातें "
कविता ...बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteकविता मन में उठे भावों की झंकार है,
ReplyDeleteप्यासे पपीहे की ये करुण सी पुकार है।
माँ की मीठी मीठी लोरी में बसके रहे है,
नन्हे संग खिलखिलाती सदा हंसते रहे है।
कमसीन के गालों का बेसन दूध का लेप है,
सूजन के दर्द में दादी का हल्दी चूना लेप है।
पहले प्यार से कहते हुए मन की उलझन है,
प्रीतम के उँगलियों से लटों की सुलझन है।
क्या है कविता सवाल सभी किये सदा जाते,
पर कम हैं जो दिल की बात किये सदा जाते ।
बहुत ही सरस आपने कहा ...कविता के कई पहलु हैं ये सुनते आये । पर मुझे यही लगता जो कहा।
खूब बहुत खूब !