पंखुरी के ब्लॉग पे आपका स्वागत है..
जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"
मनी प्लांट ...
हाँ ....ऐसा ही है तुम्हारा प्यार
जिसके बीज का अंश ..सीले दिल पे गिरा
बेहिसाब घुटन
प्रेमरिक्त हवा और खारे पानी से भी
देखो कितना पनप गया है
सारी रुकावटों के बीच अपनी जगह बना ही ली उसने
नए नए एहसासों के पत्ते हर रोज निकलते हैं
महसूस कराते हैं की मै बंजर नहीं
वो भी मेरे दिल की दीवारों के सहारे
मन मस्तिष्क सब जगह पंहुच गया है
डरती हूँ
कहीं उस नव-पल्लवित पौधे की तरह
इसे भी कोई काट न दे |
------पारुल'पंखुरी'
बेहद खूबसूरत मनी-प्लांट
ReplyDeletebahut hi khoobsurat likha h shabdon or ahsaason ka behad khobsurti se mel kiya h is rachna me wo dard nihit h or sath hi sath ek aatmvishwaas bhi ....Namita Bali
ReplyDeleteyeh aapki shreshth rachnaon mein se ek hai ... badhai 'pankhuri' ji
ReplyDeleteसबसे पहले तो आपके ब्लॉग की पृष्ठभूमि ने इस रूमानी मौसम को और खूबसूरत रूप दिया है !!गुलाब और ओस की बूँदें -इस मौसम की ताज़गी से जुडी हैं !!
ReplyDeleteऔर रचना बड़ी खूबसूरत और खालीपन के अलावा भी बहुत कुछ कह गयी है वैसे कम शब्दों में आप हमेशा सुन्दर लिखती हैं !
हर रोज़ एहसासों के निकलते पत्ते बड़ी सुन्दरता के साथ इस बात को बताते हैं कि यह क्रम ज़ारी रहेगा !!
और हाँ 'आपका' पैन नेम पंखुरी भी प्यारा है !! :) :)
सबसे पहले तो गुलाब और ओस की बूंदों की पृष्ठभूमि वाले इस सुन्दर ब्लॉग ने इस मौसम की रूमानियत को और बढ़ा दिया और आपका पैन नेम भी बड़ा सुन्दर है -पंखुरी !
ReplyDeleteअब जहाँ तक रचना का सवाल है उसमें तो आपके एहसासों के नित नए निकलते पत्ते बड़ी खूबसूरती के साथ बताते हैं कि आपकी सुन्दर कविताओं का क्रम भी यूँ ही ज़ारी रहेगा !
इतने कम शब्दों में आपके दिल के भीगे भीगे ज़ज्बात बड़े ही प्यार से छलकते हैं
:) :)
कोई काटे भी तो क्या....फिर फूटेंगी नयी कोंपलें...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
सस्नेह
अनु
बहत सुन्दर मनी प्लांट !
ReplyDeletelatest post हमारे नेताजी
latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
उम्दा है आदरेया-
ReplyDeletebahut bahut shukriya tushar :-)
ReplyDeleteमन पीड़ा ऐसी भी.... खूब कही
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीर के साथ सुन्दर प्रस्तुति। आभार।।
ReplyDeleteनये लेख : ब्लॉग से कमाई का एक बढ़िया साधन : AdsOpedia
ग्राहम बेल की आवाज़ और कुदरत के कानून से इंसाफ।
बहुत सुंदर रचना ,
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत ये मनी प्लांट.......
ReplyDeleteजो बिना हवा और खरे पानी में भी पनप आया है और पनपता रहेगा....
simply very bful..:)
ReplyDeleteसरल और भावपूर्ण।
ReplyDeleteप्रेम का बीज जब फूट गया है .. पल्वित हो गया है तो उसको जीना चाहिए ...
ReplyDeleteइस नमी प्लांट का एहसास बढ़ता है घटता नहीं ...
।भूल सुधार
ReplyDeleteबुधवार की चर्चा में
bahut hi umda bhavabhivyakti ....
ReplyDeletebehtareen ,,money plant ke paudhe ke madyma se aapne prem bel ke pallvan ka kitnee khubsurtee se chitrit kiya hai ..kabile taareef ..sadar badhayee ke sath
ReplyDeleteनेह जल सोँ सींच्यों
ReplyDeleteइनके जड़ अरु पाति।
जब ल्यों '' पंखुरी '' खिल्यो
नेह दीज्यो दिन राति ।।
कोमल यह अहसास है,
शब्द ज्यूँ मृदु- मुस्कान,
काव्य सकल सुरभित '' पंखुरी ''
हैं धन्य हमारे प्राण ।।
छंदोक्ति के क्रम मे कुछ out of context हो गया तो क्षमा प्रार्थी हूँ :) ।
bahut bahut shukriya dayanand arya :-) bahut sundar chand likha aapne
Deleteआपकी यह उत्कृष्ट रचना कल रविवार , दिनांक ४ अगस्त को ब्लॉग प्रसारण http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की जा रही है .. कृपया पधारें
ReplyDeleteसाभार सूचनार्थ
bahut bahut shukriya shaalini ji :-)
DeleteThank you for the auspicious writeup. It in reality was once a amusement account it.
ReplyDeleteLook complicated to more brought agreeable from you!
By the way, how can we be in contact?
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