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जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Tuesday, 30 July 2013

मनी प्लांट ...






हाँ ....ऐसा ही है तुम्हारा प्यार
जिसके बीज का अंश ..सीले दिल पे गिरा
बेहिसाब घुटन 

प्रेमरिक्त हवा और खारे पानी से भी
देखो कितना पनप गया है
सारी रुकावटों के बीच अपनी जगह बना ही ली उसने
नए नए एहसासों के पत्ते हर रोज निकलते हैं
महसूस कराते हैं की मै बंजर नहीं
वो भी मेरे दिल की दीवारों के सहारे
मन मस्तिष्क सब जगह पंहुच गया है
डरती हूँ 

कहीं उस नव-पल्लवित पौधे की तरह 
इसे भी कोई काट न दे |

------पारुल'पंखुरी'

24 comments:

  1. बेहद खूबसूरत मनी-प्लांट

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  2. bahut hi khoobsurat likha h shabdon or ahsaason ka behad khobsurti se mel kiya h is rachna me wo dard nihit h or sath hi sath ek aatmvishwaas bhi ....Namita Bali

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  3. yeh aapki shreshth rachnaon mein se ek hai ... badhai 'pankhuri' ji

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  4. सबसे पहले तो आपके ब्लॉग की पृष्ठभूमि ने इस रूमानी मौसम को और खूबसूरत रूप दिया है !!गुलाब और ओस की बूँदें -इस मौसम की ताज़गी से जुडी हैं !!
    और रचना बड़ी खूबसूरत और खालीपन के अलावा भी बहुत कुछ कह गयी है वैसे कम शब्दों में आप हमेशा सुन्दर लिखती हैं !
    हर रोज़ एहसासों के निकलते पत्ते बड़ी सुन्दरता के साथ इस बात को बताते हैं कि यह क्रम ज़ारी रहेगा !!
    और हाँ 'आपका' पैन नेम पंखुरी भी प्यारा है !! :) :)

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  5. सबसे पहले तो गुलाब और ओस की बूंदों की पृष्ठभूमि वाले इस सुन्दर ब्लॉग ने इस मौसम की रूमानियत को और बढ़ा दिया और आपका पैन नेम भी बड़ा सुन्दर है -पंखुरी !

    अब जहाँ तक रचना का सवाल है उसमें तो आपके एहसासों के नित नए निकलते पत्ते बड़ी खूबसूरती के साथ बताते हैं कि आपकी सुन्दर कविताओं का क्रम भी यूँ ही ज़ारी रहेगा !

    इतने कम शब्दों में आपके दिल के भीगे भीगे ज़ज्बात बड़े ही प्यार से छलकते हैं
    :) :)

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  6. कोई काटे भी तो क्या....फिर फूटेंगी नयी कोंपलें...
    बहुत सुन्दर..

    सस्नेह
    अनु

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  7. उम्दा है आदरेया-

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  8. bahut bahut shukriya tushar :-)

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  9. मन पीड़ा ऐसी भी.... खूब कही

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  10. बहुत सुंदर रचना ,

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  11. बहुत खुबसूरत ये मनी प्लांट.......
    जो बिना हवा और खरे पानी में भी पनप आया है और पनपता रहेगा....

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  12. simply very bful..:)

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  13. प्रेम का बीज जब फूट गया है .. पल्वित हो गया है तो उसको जीना चाहिए ...
    इस नमी प्लांट का एहसास बढ़ता है घटता नहीं ...

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  14. ।भूल सुधार
    बुधवार की चर्चा में

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  15. bahut hi umda bhavabhivyakti ....

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  16. behtareen ,,money plant ke paudhe ke madyma se aapne prem bel ke pallvan ka kitnee khubsurtee se chitrit kiya hai ..kabile taareef ..sadar badhayee ke sath

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  17. नेह जल सोँ सींच्यों
    इनके जड़ अरु पाति।
    जब ल्यों '' पंखुरी '' खिल्यो
    नेह दीज्यो दिन राति ।।

    कोमल यह अहसास है,
    शब्द ज्यूँ मृदु- मुस्कान,
    काव्य सकल सुरभित '' पंखुरी ''
    हैं धन्य हमारे प्राण ।।

    छंदोक्ति के क्रम मे कुछ out of context हो गया तो क्षमा प्रार्थी हूँ :) ।

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    Replies
    1. bahut bahut shukriya dayanand arya :-) bahut sundar chand likha aapne

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  18. आपकी यह उत्कृष्ट रचना कल रविवार , दिनांक ४ अगस्त को ब्लॉग प्रसारण http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की जा रही है .. कृपया पधारें
    साभार सूचनार्थ

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  19. Thank you for the auspicious writeup. It in reality was once a amusement account it.
    Look complicated to more brought agreeable from you!

    By the way, how can we be in contact?

    My blog - Foot Arch Support

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