पंखुरी के ब्लॉग पे आपका स्वागत है..

जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Thursday 30 April 2015

रचनाएँ





दोस्तों एवं परिवार के सदस्यों आप सबकी शुभकामनाओं से आज दिल्ली/एनसीआर के अखबार ट्रू टाइम्स में मेरी दो रचनाओं को प्रकाशित किया गया है मैं सम्पादन टीम की ह्रदय से आभारी हूँ ।
आप सभी का भी हार्दिक आभार रचनाओं पर अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखियेगा |

~~~पारुल'पंखुरी'

रचना -१ 

देह्शाला
भोग का प्याला
पैर की जूती
कपडा फटा पुराना
बिना कुण्डी वाले कमरे में बैठी वैश्या
चलती बस में भेडियो से जूझती आवारा
कूड़े के ढेर पे पड़ा अधनुचा जिस्म
धुएं निकालता फफोलो से भरा चेहरा
लपटों में लिपटा अधजला बदन
खून में लथपथ सिसकती आवाज
कुछ भी समझ लो
बस ...
औरत को इंसान समझने की भूल मत करना

-------------------------पारुल'पंखुरी'

(आखिरी पंक्ति औरतो को संबोधित करते हुए लिखी गयी है )
रचना २--

विधा-- हाइकु

बेवक़्त वर्षा
किसान पर मार
धान बेकार

सपने बोता
हलधर बरसों
रोई सरसों

फागुन गीत
कृषक कैसे गाये
मेघ  रुलाएं

सीलता चूल्हा
महंगाई की मार
खेप बेकार

और आखिर में एक विनती ईश्वर से ....

थामो बारिश
रहम बरसाओ
सूर्य दिखाओ


--पारुल'पंखुरी'



                                                     


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