बहता मन महकती पवन ...
आकांशा तारो को छूने की...
वक़्त ने ली एक अंगडाई ..
ओंधे मुह धरती पे आई ..
मिली तन्हाई.. मिली तन्हाई ..
मन टुकडो को समेटा ..
हिम्मत को फिर से लपेटा ..
मोड़ पर कमबख्त इश्क छुपा था ..
एक टुकड़ा उसने चुरा लिया..
रह गई सिर्फ परछाई ..
मिली तन्हाई.. मिली तन्हाई ..
साँसे अभी चल रही थी ..
गिर गिर के संभल रही थी ..
एक मोड़ पर मिल गए धागे ..
समझ के बढ़ गई मै रेशम..
उलझ के रह गया तन मन ...
मन टुकडो ने दम तोड़ दिया ..
आँख में तबसे नमी सी छाई ..
मिली तन्हाई मिली तन्हाई ..-
-----------------------------पारुल'पंखुरी'
तन्हाई कुछ तो कहती है
ReplyDeleteअद्भुत भावों संग बहती है
मन के अनजाने तल में
ये प्रेमिका बन रहती है
जीवन के मुश्किल पल में
ये साथ सदा ही देती है
तन्हाई कुछ तो कहती है....
तन्हाई से बेहतर और सच्चा कोई दोस्त नहीं | सुन्दर रचना पारुल | बहुत शानदार अभिव्यक्ति शब्दों की और भावों की | आभार
साजन हमसे मिले भी लेकिन ऐसे मिले की हाय ,
ReplyDeleteजैसे सूखे खेत से बादल बिन बरसे उड़ जाय,,,,,,, (जमालुद्दीन आली )
बीबी बैठी मायके , होरी नही सुहाय
साजन मोरे है नही,रंग न मोको भाय..
.
उपरोक्त शीर्षक पर आप सभी लोगो की रचनाए आमंत्रित है,,,,,
जानकारी हेतु ये लिंक देखे : होरी नही सुहाय,
बढ़िया भाव आदरेया-
ReplyDeleteशुभकामनायें-
आकांक्षा छूने चली, उचक उचक आकाश |
नखत चकाचक टिमटिमा, उड़ा रहे उपहास-
कमबख्त इश्क हमेशा अनजाने मोड़ पर ही छुपा मिलता है ।
ReplyDeleteभावपूर्ण कविता ,मन को भाने वाली ।
पी प्रबसे सागर पार मैं रहि पंथ निहार ।
ReplyDeleteधार धरी ऊपर धार सखि मैं कवन अधार ॥
भावार्थ : --
प्रियतम विदेश में प्रवासित है और मैं आगमन की प्रतीक्षा में हूँ ।
धारा के ऊपर धारा है, हे ! मित्र, मैं किस के आधार रहूँ ॥
बैठ भंडिरा चौंक पै सजन सँदेस सुनाए ।
ReplyDeleteगोरी घूँघट औंट कै होरी होरी गाए ॥
भावार्थ : --
पत्रवाहक चौराहे पर बैठ कर प्रियतम का सन्देश सुना रहा है ।
और प्रियतमा घूँघट कर होली है! होली है! कह रही है ॥
beautiful creation... !
ReplyDeleteये तन्हाई का आलम कभी कभी डुबो जाता है ...
ReplyDeleteइससे बाहर आना जरूरी है ...
तन्हाई सच्चा साथी है ,धोखा नहीं देती -उत्तम अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहोता है ऐसा भी.....
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
सुंदर सुकोमल रचना....
ReplyDeleteबढ़िया अभिच्यक्ति ...बधाई !
ReplyDeleteपारुल......वाह क्या बात है - बहुत नाजुक, बहुत प्यारी रचना- अभिनन्दन-
ReplyDeleteबहुत प्यार कोमल और उदास एहसास
ReplyDelete