पंखुरी के ब्लॉग पे आपका स्वागत है..

जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

मेरी कवितायें पसंद आई तो मुझसे जुड़िये

Wednesday 26 February 2014

कितने दिलकश होते हैं वो













कितने दिलकश होते हैं वो
उडी नींदों भरी रातें और बेचैनी भरे रंगीले दिन
नजरो से नजरो की मुलाकातों भरे नशीले दिन
खामोशियों में भी बेइंतहा बातों भरे सजीले दिन
धडकनों का एहसास दिलाते गुदगुदाते रसीले दिन

कितने दिलकश होते हैं वो ....
खुद से हरदम पूछे मासूम सवालातो भरे हंसाते दिन
तनहाइयों में रहने का बहाना बनाते गुनगुनाते दिन
कुछ अजीब सी उलझनों में उलझाते बलखाते दिन
बला की ख़ूबसूरती आईने में दिखाते इतराते दिन

कितने दिलकश होते हैं वो …
दिल की बात होंठो तक आने को कसमसाते दिन
इकरार और इजहार से पहले के टिमटिमाते दिन
मुहब्बत उसको भी है ये सोच के सकुचाते शरमाते दिन
मुहब्बत मुझको भी है ये सोच के लहलहाते मुस्कुराते दिन

-------------पारुल 'पंखुरी'

picture courtesy--via google (abstract.desktopnexus.com)

Saturday 15 February 2014

मेरा मन















कभी समंदर किनारे

गीले रेत पे

उंगलिया फिराता

सीपी से मोती

चुराने को कभी

गहरे समंदर में

डुबकी लगता

भागे कभी नीली

तितली के पीछे

ढूंढ़ने उसके

घर का पता

ये इंद्रधनुष

आसमा में कैसे टंगा

रहे कभी बस

यही सोचता

दौड़ता भागता

फ़िरे वन उपवन

भटकता रहे बावरा मेरा मन




उमंग के घुंघरू बांधे

कभी रहे नाचता

कभी मुस्कुराये खुद-ब-खुद ,

क्यूँ ? ,क्या पता

कुहासी खिड़कियों के पार

घंटो रहे देखता

बुनता ख्यालो का स्वेटर

कभी यादों के शॉल ओढ़ता

यादो कि कश्तियाँ कभी

बारिशो में देता बहा

पतझड़ भी लगे सुहाना

कभी भाये न इसे बसंत

भटकता रहे बावरा मेरा मन

------------------पारुल'पंखुरी'

picture courtesy---www.123rf.com(via google)




Wednesday 12 February 2014

तुम मिले


तुम मिले तो .. जीवन में बसंत छा गया 
धीरे से कानो में मेरे, प्रेम गीत गा गया

तितलियाँ फूलो पर मंडराने लगी
खुशबु हारसिंगार कि चारों ओर बही
पग-पखारने को तुम्हारे
पथ में कलियाँ बिछी
किया तुमने स्वीकार जब
कलियों का प्रणय निवेदन,तब
बादलो ने किया शंखनाद
हवाओ के रथ पे होके सवार
प्रेम तुम्हारा, मन मेरा , महका गया
तुम मिले तो जीवन में बसंत छा गया

धूप रुपी सुंदरी ओढ़े मेघ चुनरी
सखी बन मेरी घर तुम्हे लाने लगी
थोड़ी लाज थोड़ी शर्म हिलोरे मारे उमंग
ख़ुशी अश्रु बन नयनों से मेरे बही
जब आँगन में तुमने रखे अपने पग
घटाएं मंत्र विवाह के थी सुनाने लगी
गले में मेरे तुमने बाहों के डाले हार
उस पल जीवन मेरा अर्थ पा गया
तुम मिले तो जीवन में बसंत छा गया
तुम मिले तो …………
------------------------------------पारुल'पंखुरी'

picture courtesy---thisveganrants.blogspot.com(via google)
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...