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जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Tuesday, 26 February 2013

उम्मीदें ....













काश..उम्मीदें  रखने को कोई बक्सा होता
तो सारी उम्मीदें  मै उसमे बंद कर देती…
चुन चुन के  उम्मीदे  सहेजती उस बक्से में..
जिंदगी ऐसे ही जी लेती…यू  ही सस्ते में…
लोग कहते हैं के उम्मीद पे दुनिया कायम है..
वही उम्मीद गर पल पल टीस दे जिंदगी को…
तो लगती ये बातें दर्जे की दोयम हैं…
मानती हू उम्मीद  बिना जिंदगी चल नहीं सकती…
मार देने की बात “उम्मीद" को मै कर नहीं सकती….
इसलिए सोचती हू उनको क़ैद  कर दू कहीं…
जहा से उनकी सदाए, दिल को सुनाई दे ना कभी…
हर बार ये फैसला दिल को सुनाया मैंने…
तू उम्मीद ना कर ए दिल ,प्यार से भी उसको समझाया मैंने….
फ़िर  भी नासमझ उम्मीद कर गया…
अपनी झोली में क्या कांटे कम थे….
जो दामन भी दर्द से भर लिया…
तेरी हर इक उम्मीद से मेरा दर्द बढ़ रहा है…
ए दिल, वो देख मेरा दर्द पन्नो पे उभर रहा है…..
वो देख…..

------पारुल'पंखुरी'

18 comments:

  1. सच है कि उम्मीद पर दुनियां टिकी है परन्तु उम्मीद ही दुःख का सबसे बड़ा कारण है . जहाँ कोई उम्मीद नहीं वहां दुःख नहीं
    new postक्षणिकाएँ

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  2. .बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार .अरे भई मेरा पीछा छोडो आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते

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  3. क्योंकर सुकून पायेगी बेताब हसरते,
    उनके करीब जाकर कुछ न कह सके,,,,,,,


    Recent Post: कुछ तरस खाइये

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  4. उम्मीद पकडनी चाही थी
    पंख रह गये हैं मुठ्ठी में

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  5. मेरा दर्द पन्नों में उभर रहा है. बहुत खूब.

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  6. आशाओं के भी कई रंग हैं......

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  7. ये सच है की पन्नों पे दर्द उभर रहा है ... फिर भी उम्मीद का दामन साथ रखना जरूरी है ... जहाँ नज़र आए थाम लो ...

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  8. खयाल अच्छा है सुन्दर पंक्तियाँ

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  9. प्रिय पँखुरी बहुत प्यारा लिखा है आपने आपके ब्लॉग पर पहली बार आई हूँ बहुत सुंदर तसवीर सामने आई और रचना भी आना सार्थक हुआ इसी तरह लिखती रहें गौड ब्लेस

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  10. वाह जीवन के सच्ची अनुभूति को दर्शाती भावपूर्ण रचना

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  11. This comment has been removed by the author.

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  12. अभी तो इस संदूक में अपने नए नए बने फैन (आपको) को बंद कर रखने का जी कर रहा है ।
    .
    बहुत अच्छा लिखा है आपने , काश उम्मीदों का कोई बक्सा होता तो सब उम्मीदें उसी में संजोते रहते ।

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  13. उम्मीद का बक्सा बहुत उम्मीद दिलाती है.
    नीरज'नीर'
    मेरी नयी कविताएँ
    KAVYA SUDHA (काव्य सुधा): धर्म से शिकायत

    KAVYA SUDHA (काव्य सुधा): जमी हुई नदी

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  14. बहुत सुन्दर. उम्मीद बहुत ज़रूरी है जीवन के लिए. चाहे कैद ही क्यों न हो.

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  15. सुन्दर रचना

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  16. न रख जग से तू झूठी उम्मीद
    सिर्फ बन अपने अहसास का मुरीद....
    शुभकामनायें!

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  17. काश ..ऐसा होता,,,पर
    बहुत सुन्दर ...!

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  18. achha lagi rachna

    shubhkamnayen

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