काश..उम्मीदें रखने को कोई बक्सा होता
तो सारी उम्मीदें मै उसमे बंद कर देती…
चुन चुन के उम्मीदे सहेजती उस बक्से में..
जिंदगी ऐसे ही जी लेती…यू ही सस्ते में…
लोग कहते हैं के उम्मीद पे दुनिया कायम है..
वही उम्मीद गर पल पल टीस दे जिंदगी को…
तो लगती ये बातें दर्जे की दोयम हैं…
मानती हू उम्मीद बिना जिंदगी चल नहीं सकती…
मार देने की बात “उम्मीद" को मै कर नहीं सकती….
इसलिए सोचती हू उनको क़ैद कर दू कहीं…
जहा से उनकी सदाए, दिल को सुनाई दे ना कभी…
हर बार ये फैसला दिल को सुनाया मैंने…
तू उम्मीद ना कर ए दिल ,प्यार से भी उसको समझाया मैंने….
फ़िर भी नासमझ उम्मीद कर गया…
अपनी झोली में क्या कांटे कम थे….
जो दामन भी दर्द से भर लिया…
तेरी हर इक उम्मीद से मेरा दर्द बढ़ रहा है…
ए दिल, वो देख मेरा दर्द पन्नो पे उभर रहा है…..
वो देख…..
------पारुल'पंखुरी'
सच है कि उम्मीद पर दुनियां टिकी है परन्तु उम्मीद ही दुःख का सबसे बड़ा कारण है . जहाँ कोई उम्मीद नहीं वहां दुःख नहीं
ReplyDeletenew postक्षणिकाएँ
.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार .अरे भई मेरा पीछा छोडो आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
ReplyDeleteक्योंकर सुकून पायेगी बेताब हसरते,
ReplyDeleteउनके करीब जाकर कुछ न कह सके,,,,,,,
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उम्मीद पकडनी चाही थी
ReplyDeleteपंख रह गये हैं मुठ्ठी में
मेरा दर्द पन्नों में उभर रहा है. बहुत खूब.
ReplyDeleteआशाओं के भी कई रंग हैं......
ReplyDeleteये सच है की पन्नों पे दर्द उभर रहा है ... फिर भी उम्मीद का दामन साथ रखना जरूरी है ... जहाँ नज़र आए थाम लो ...
ReplyDeleteखयाल अच्छा है सुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteप्रिय पँखुरी बहुत प्यारा लिखा है आपने आपके ब्लॉग पर पहली बार आई हूँ बहुत सुंदर तसवीर सामने आई और रचना भी आना सार्थक हुआ इसी तरह लिखती रहें गौड ब्लेस
ReplyDeleteवाह जीवन के सच्ची अनुभूति को दर्शाती भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअभी तो इस संदूक में अपने नए नए बने फैन (आपको) को बंद कर रखने का जी कर रहा है ।
ReplyDelete.
बहुत अच्छा लिखा है आपने , काश उम्मीदों का कोई बक्सा होता तो सब उम्मीदें उसी में संजोते रहते ।
उम्मीद का बक्सा बहुत उम्मीद दिलाती है.
ReplyDeleteनीरज'नीर'
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बहुत सुन्दर. उम्मीद बहुत ज़रूरी है जीवन के लिए. चाहे कैद ही क्यों न हो.
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteन रख जग से तू झूठी उम्मीद
ReplyDeleteसिर्फ बन अपने अहसास का मुरीद....
शुभकामनायें!
काश ..ऐसा होता,,,पर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...!
achha lagi rachna
ReplyDeleteshubhkamnayen