पंखुरी के ब्लॉग पे आपका स्वागत है..

जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

मेरी कवितायें पसंद आई तो मुझसे जुड़िये

Tuesday, 26 February 2013

उम्मीदें ....













काश..उम्मीदें  रखने को कोई बक्सा होता
तो सारी उम्मीदें  मै उसमे बंद कर देती…
चुन चुन के  उम्मीदे  सहेजती उस बक्से में..
जिंदगी ऐसे ही जी लेती…यू  ही सस्ते में…
लोग कहते हैं के उम्मीद पे दुनिया कायम है..
वही उम्मीद गर पल पल टीस दे जिंदगी को…
तो लगती ये बातें दर्जे की दोयम हैं…
मानती हू उम्मीद  बिना जिंदगी चल नहीं सकती…
मार देने की बात “उम्मीद" को मै कर नहीं सकती….
इसलिए सोचती हू उनको क़ैद  कर दू कहीं…
जहा से उनकी सदाए, दिल को सुनाई दे ना कभी…
हर बार ये फैसला दिल को सुनाया मैंने…
तू उम्मीद ना कर ए दिल ,प्यार से भी उसको समझाया मैंने….
फ़िर  भी नासमझ उम्मीद कर गया…
अपनी झोली में क्या कांटे कम थे….
जो दामन भी दर्द से भर लिया…
तेरी हर इक उम्मीद से मेरा दर्द बढ़ रहा है…
ए दिल, वो देख मेरा दर्द पन्नो पे उभर रहा है…..
वो देख…..

------पारुल'पंखुरी'

Sunday, 24 February 2013

खट्टे सवाल मीठे जवाब ....


दोस्तों प्यार से प्यारा कोई एहसास नहीं होता और जब प्यार में दोस्ती भी हो तो क्या कहने फिर हर चीज आसान हो जाती है प्रेमी प्रेमिका एक दुसरे से जो चाहे कहते हैं जो चाहे पूछते हैं ऐसी ही एक प्रेमिका अपने प्रेमी से कुछ खट्टे सवाल पूछती है और कहती है की जैसे जिस सुर में मै सवाल पूछु उसी सुर में मुझे जवाब चाहिए नहीं तो मै रूठ जाउंगी अब वो क्या पूछती है और क्या जवाब मिलते हैं वो आप खुद ही पढ़ लीजिये .....

क्यों चाँद मुझे भाता है,
क्यों वो रोज नहीं आता है ??

ये गजब की बात है चाँद को चाँद ही भाता है,
जब चाँद छुप के तुम्हे देखता है, तब नज़र नहीं आता है।।


क्यों सागर नीला होता है
क्यों बादल इतना रोता है?
नीली आँखों से निकला सो सागर नीला होता है,
जब प्यार पे लगता है पहरा, तो बादल इतना रोता है।।







क्यों सपने मुझे लुभाते हैं
क्यों फूल इतना शर्माते हैं??

बिछुडे प्रेमी सपने में मिलते है, सो सपने बहुत लुभाते हैं,
देखके फूलों सा कोमल चेहरा , फूल भी शरमाते हैं।।







क्यों झरना इतना चंचल है
क्यों कल कल कल कल बहता है??

झरना तेरा दीवाना है सो वो भी चंचल होता है,
देख के तुझको झरना भी कल कल आहें भरता है।।







क्यों सूरज अकड दिखाता  है
क्यों तारो को दूर भगाता है ??

दिलजला प्रेमी है सूरज सो अकड़ा अकड़ा रहता है,
धरती से मिलने आता है सो तारो को दूर भगाता है।।







सबकुछ मन को भाता है
अनायास क्या हो जाता है
क्यूँ मन उदास हो जाता है
क्यूँ आँखे झर झर बहती है ??

जब याद किसी की आती है,
ऐसा अक्सर हो जाता है,
हँसते हँसते आँखों से यादो का झरना बहता है,
जब दिल किसी का रोता है तब आंखें झर झर बहती हैं...



---------------------------------पारुल'पंखुरी'
-----------नीरज कुमार
ये रचना मेरे और मेरे कवि  मित्र नीरज कुमार "नीर" की कुछ अनोखा करने की लगन  में की गई एक  छोटी सी कोशिश है ..आशा है आप सबको यह पसंद आएगी ..अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे।।। मेरे मित्र का भी एक ब्लॉग है उस पर भी एक बार अवश्य पधारें ..लिंक यहाँ दे रही हूँ ...

Tuesday, 19 February 2013

अधूरा इश्क .....














एहसास इश्क का ये पूरा है ना आधा है ..

ना जाने उस शख्स से ये कैसा नाता है ..

है दिल्लगी ये इश्क या दिल की लगी यारो ...

चोट खाके भी दिल नगमे गुनगुनाता है ...

भरे पैमाने भरी आँखें पहचान आशिक की ...

बेमुर्रवत इश्क में फ़कत आंसू कमाता है....

मिला तन्हाई का साथ दिन रात का ऐसा ...

मुझको सताता है कभी मुझको मनाता है ....

ना ख़ुशी का एहसास ना बरसती कभी आँखें...

ना रोने का वादा, दिल हर पल निभाता है ...

बंजर आँखें उखड़ी सांसें है प्यार का सिला ...

मै सब कुछ भूल जाती हूँ जब उसका नाम आता है ...

----------------पारुल 'पंखुरी'

Friday, 15 February 2013

ख्याल ...


दोस्तों ....आज मै अपनी लिखी कविता 'ख्याल ' का विडियो आप सब के समक्ष प्रस्तुत कर रही हु ..इस में  मैंने कविता को अपनी आवाज और अपने पसंद के चित्रों से सजाया है ...आप सब इस पर प्रतिक्रिया अवश्य दे इससे मुझे और अच्छा करने का हौसला मिलेगा ....धन्यवाद




फिर वो ही सौंधी खुशबु
वो ही मीठा मीठा सा दर्द
वो ही दिन वो ही महीना
गुनगुनी सी धूप ..और रातें सर्द
कौन रंगों से आज आसमान सजा गया
प्यार का रंग चारो और छा  गया
आज फिर उसका ख्याल आ गया
हलकी लाल  आँखों से उसका
वो कनखियों से देखना
चुप रहके मुस्कुराना
बिन कहे ही सब समझना
कभी कुछ कहा नहीं उसने
जाने कैसे दिल उसकी गिरफ्त में आ गया
सादगी उसकी ..भोलापन .. दिल को भा गया
आज फिर उसका  ख्याल आ गया
ना उसने कुछ कहा कभी
न मै  कह  पाई
जानता वो भी था ..समझती मै  भी थी
फिर भी होंठो तक कभी ये बात नहीं आई
आज तक जो नहीं कहा वो आज मै   कहना चाहती हूँ
ऐ महकी हवाओ  ...
मेरा ये संदेसा उन तक पंहुचा देना
और कहना उनसे
मुझे उनसे
मोहब्बत है ...
मोहब्बत है ...
मोहब्बत है ....
----------------पारुल'पंखुरी'



Wednesday, 13 February 2013

अगर ....







मन ...

असीम वेदना की गागर ...

आँखें ....

अपलक शून्य निहारती ....

तन ...

हाड मांस का पुतला ....

दिमाग ....

नसों का जमावड़ा ....

होंठ ....

निःशब्द बेअसर ...

कान ...

गूंजते शब्दों के भंवर ...

अच्छा होता ...

अगर ....

दिल भी ..

एक यन्त्र  भर होता ....

जिसमे ..

ना कुछ पाने की लालसा होती ....

ना कुछ खोने का डर ....


-------------------------------पारुल'पंखुरी

Sunday, 10 February 2013

सपना ...






नींदों में मेरी ...

जब खूबसूरत ..

कोई सपना आता है ...

जगा कर मुझे ...

उदासी की ओर ...

वो ले जाता है ..

एहसास होता है ...

तब तन्हाई का ...

अपनी बहुत ...

अश्को की भाषा से ...

तब, मन ...

मुझको समझाता है ...

--------------------------पारुल 'पंखुरी '

Friday, 8 February 2013

तन्हाई ....





कोई कितना भी साथ रहे एक न एक दिन चला ही जाता है ..तब फिर से ना चाहते हुए भी तन्हाई अपनी बाहों में घेर लेती है...पहले पहल गुस्सा आता था चिढ होती थी मगर अब तन्हाई सहेली बन गई है ...इसलिए अक्सर लोगो से कह देती हू ...

अकेला छोड़ दो मुझको ..
के तन्हाई रास आ गई है ...
रोशन महफिले हो या ..
सूनी रात का सन्नाटा ..
बना के बाहों का घेरा ..
वो आसपास आ गई है ...
कभी अश्को से खेलती ..
कभी निंदिया को ढूंढ़ती ..
वो बन के मेरी हमसफ़र ..
मेरे एहसास पा गई है ...
जाती नहीं कभी कहीं ..
वो मुझको छोड़कर ...
बन के मेरी परछाई ....
वो मेरे साथ आ गई है ....
सिसकियों को बांधती ..
कभी मुझको संभालती ...
धीरे -धीरे तन्हाई अब ..
मेरे भी मन को भा गई है ..
अकेला छोड़ दो मुझको ..
के तन्हाई रास आ गई है ...
-----------पारुल'पंखुरी'

Thursday, 7 February 2013

चाहतें ....





तुम्हारी सुबह हमारी रातें होंगी ......

अब तो ख्वाबो में ही अपनी मुलाकातें होंगी .....



तुम बिन बोझिल मेरी सांसें होंगी ...

तेरी यादें ही अब प्यार की सौगातें होंगी ....



अब होगा जीना कुछ इस तरह की .....

आँखों में आंसू लबो पे मुस्कुराहटें होंगी .....



शायद मै रहू न रहू तेरे आने तक ....

महकी हवाओ में घुली मेरी सांसें होंगी ....



मोहब्बत को मंजिल न मिले अब ....

सफर में ही ताजमहल हमारी चाहतें होंगी .....



------------------पारुल 'पंखुरी'

Monday, 4 February 2013

गुलाबी ठण्ड ......अदरक वाली चाय








मौसम भी जैसे मुझको सताना चाहता है ...आज फिर करवट बदल ली ....सुबह से इतनी जोर से बिजली कड़क रही है ....आज फिर ठंडक महसूस हुई .....फिर से वही अदरक वाली चाय ..लेकर बैठी तो सारी गुलाबी यादें बारिश में चलचित्र बन के घूमती नजर आई ये बारिश हमेशा मेरा साथ देती है ...कभी आंसुओ को छुपाने में कभी यादो को फिर से याद दिलाने में ......


गुलाबी ठण्ड अदरक वाली चाय...उसकी यादें...और पुराने गाने..

पहला प्यार..कभी इनकार..कभी इकरार...

मन ढूंढे तन्हाई...खुद को दिल की ...

धड़कन सुनाने...


वो उसका चक्कर काटना...देर रात तक..

जाना छत पे मेरा...देखने उसको...

चाँद के बहाने...


वो फ़ोन की घंटी..मेरा छत से दौड़ना...

उठाने से पहले ही फ़ोन मेरी...

दबी-दबी मुस्काने...


वो कॉलेज के दिन...साथ साथ जाना...

उंगलियों से उंगलियों के.....

रास्ते में टकराने...


वो उसका बुलाना ..फिर टाइम से ना आना...

मेरा घंटो रूठ जाना...

और उसके मनाने ...


वो प्यार की शराब..वो नजरो के पैमाने..

एक दूजे के प्यार में...

हुए हम दीवाने...


फिर वही गुलाबी ठण्ड..अदरक वाली चाय..

पुराने गाने...

बस एक नहीं है तो "वो" .

तो क्या हुआ उसकी यादें तो हैं...

अब भी गुलाबी हो जाता है चेहरा मेरा ..

जब याद आते उसके अशआर पुराने..

मगर ये एहसास ..

ये यादो की कंपकंपी...

जो प्यार करे वही जाने...

वही जाने...

---------------- 'पंखुरी'

Saturday, 2 February 2013

उद्घाटन पर विशेष ....















आज के लिए विशेष .....
1--सुस्वागतम
2--जलपान एवं भोज
3-मिठास
4-दिल की बातें 

सुस्वागतम ..





ॐ गणेशाय नमो ....

छन्द पकैया छन्द पकैया छंद की अलग है शान ...
'पंखुरी' के आँगन में आज आये खूब मेहमान .....

स्वागत रसम ....

भावनाओं के हैं रोली चावल ..
मुस्कराहट का बनाया है पुष्प हार ...
आप सभी अतिथि जन को ..
पारुल पंखुरी का प्रेम भरा नमस्कार ...

दिल से अपने दीजिये आज मुझे आसीस ...
कर बद्ध खड़ी हूँ मै झुकाए अपना सीस ...

बांटू खुशिया कर दूँ ..अँधेरे जीवन में उजियारा ...
ऐसा आसीस दीजिये हो जाए जीवन न्यारा ...

मुंह मीठा कीजिये ....

सबसे पहले आपका मुंह मीठा कराती हूँ ...
बातो के रसगुल्ले आप सबको खिलाती हूँ ...
रसगुल्ले की थाली अपने हाथो में सजाती हूँ ..
साथ ही आपको अपने "chief guest " से मिलवाती हूँ ..

मुख्य अतिथि परिचय ...
उपलब्धियां इनकी गिनाऊ तो ..
हो जायेगी सुबह से शाम ....
फिजिक्स के हैं महान ये ज्ञाता ...
दिल से करते हैं हर काम ...
पेशे से हैं वैज्ञानिक परन्तु ..
कवि इनके ह्रदय में बसता
काव्यालय के एडमिन के रूप में ..
इनका नाम बहुत ही जंचता ...
कविता जैसे इनके रग रग में है बसती ..
फिजिक्स में भी इन्हें तो कविता ही है दिखती
रहते हैं विदेश में पर करते हैं देश से बहुत प्यार ...
काव्यालय में इनसे सब पाते हैं लाड दुलार ...
मध्यम को उत्तम ..उत्तम को अति उत्तम ...
करने की ये हैं राह दिखलाते ....
गलतियों पर भी ये बड़े प्यार से हैं समझाते ...
वैज्ञानिक,प्रतिभाशाली,कवि ,गुरु ...
उससे भी अच्छे हैं ये इंसान ....
इन शुभ हाथो से करने प्रारंभ ...
निवेदन करके इन्हें बनाया है "मुख्य मेहमान "
बहुमुखी प्रतिभा के धनी जिनका किया न जा सकता बखान
ऐसे हैं हमारे मुख्य अतिथि "श्री विनोद तिवारी " है जिनका नाम
विनती है आपसे कविताओं पे मेरी ..
सदा बनाये रखियेगा यूँ ही अपना प्यार ...
और अपनी बातो का जादू बिखेरने ...
ब्लॉग पर आते रहिएगा बारम्बार ...

ब्लॉग पर आने और विशेष आतिथ्य स्वीकार करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार विनोद तिवारी सर :-) अपना आशीर्वाद सदैव मुझ पर बनाये रखियेगा :-)

जलपान एवं भोज ...







हरे कृष्णा 

अरे अरे इधर आइये जरा
ध्यान लगाकर सुनो सारे मेहमान
सत्कार करने को आपका
मैंने बनाये हैं छप्पन पकवान
पूरी कचोडी सब्जियां रायता ...
मीठे में है बादाम का हलवा
अभी देखते जाइये और क्या क्या है ..
हमारी बातो का जलवा ...

आज मैंने अपने कुछ कवि मित्र भी हैं बुलाये ...
है फरमाइश कुछ ऐसी की कविता करके ही व्यंजन खिलाये ...
तो चलिए उनको काव्य के गोलगप्पे खिलाती हूँ
और कुछ कवि मित्रो को आपसे मिलवाती हूँ ...

कविता के नित जलाते हैं ये दीप ..
नाम है इनका शुक्ला प्रदीप ....
कल्पना को ये अपनी प्रेमिका हैं बताते ...
काव्य के सभी व्यंजन इन्हें सबसे ज्यादा भाते ..
कभी कल्पना सो जाती ..
कभी लेने नहीं देती इनको चैन ...
कल्पना से करते छेड़छाड़ मै ..
बन गई इनकी कविताओं की fan
प्रदीप जी ब्लॉग पर आने का बहुत शुक्रिया आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है अपना साथ ऐसे ही बनाये रखियेगा :-)


नेकदिल साफ़ मासूम और बहुत ही खास
पकड़ते ही नहीं कभी तारीफों के लिबास
इनके बिना रहता है काव्यालय उदास
राजू पटेल भरते हैं सब में आत्मविश्वास

राजू ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपने हमेशा प्रोत्साहन दिया आप बहुत अलग हैं मुझे भी टाइम लगा समझने में मगर बहुत ही साफदिल है आप और हाँ मासूम भी :-)


मेरी और शिखा की दोस्ती है
अलबेली मस्तानी सुहानी
कभी वो मुझे कहे शैतान की खाला ..
कभी मै कहूं उन्हें शैतान की नानी ..
बातो में इनका नहीं कोई सानी
कविताओ में भी हैं जबरदस्त
ये बात सबने है मानी :-)

शिखा thank u ब्लॉग पर आने और हमेशा एक अनजाना अनदेखा मगर हर वक़्त सपोर्ट करने के लिए :-)

शांत स्वभाव इनका धरे बहुत हैं धीर
नाम और कविता दोनों से बहे नीर
सुन्दर कवितायें लिखते जो मन को लुभाती हैं
हर तस्वीर हर बात पर इनके मन से
कविता बह बह जाती है ...
जुगलबंदी में साथ इनके मैंने भी लिखी हैं कविता
नीरज जब कविता कहते बहती जैसे सरिता ...

नीरज बहुत शुक्रिया ब्लॉग पर आने के लिए और हर संभव सहायता के लिए ...तुम्हारे जैसा मित्र पाकर मै खुश हु :-)


निर्मल मन शुद्ध विचार
कृष्णा भक्ति करते ये अपार
छोटे बड़े सबसे करते ये प्यार
हार जीत से नहीं कोई इन्हें सरोकार
कविता में भी इनकी कृष्णा है बसते
गौरव पर ईश्वर की अनुकम्पा अपरम्पार

गौरव ब्लॉग पर आने का शुक्रिया अपना स्नेह हम पर यूँ ही बनाये रखना हरे कृष्णा :-)

---------सस्नेह पारुल'पंखुरी'

मिठास ....





शायरी में इनका नहीं कोई जवाब
गाते भी हैं एकदम लाजवाब
स्टाइल से अपने लूटे किसी का भी चैन
fb पर ही इनके हजारो हैं fan
बना रहे निरंतर ये नए आयाम
चंद्रशेखर वर्मा   है इनका नाम
बहुत शुक्रिया सर आपने ही मुझे सबसे पहले कविता लिखने के लिए प्रोत्साहित किया आप मेरे सबसे पहले गुरु और मार्गदर्शक हैं अपना आशीर्वाद ऐसे ही बनाये रखें :-)

प्यारी सूरत चंचल मन ....
कविता सी इठलाती .......
कविता इनकी ऐसे खिलती ....
ज्यू कली खिले इतराती ...
मेरे मन को कविता इनकी ..
भीतर तक छू   जाती ..
अनुलता दी जाने क्यों आप ...
मन को बहुत हैं भाती ..

अनुलता दी ब्लॉग बनाने के लिए आपने ही प्रोत्साहित किया उसके लिए आपका बहुत धन्यवाद अब मेरा मार्गदर्शन करती रहिएगा और वक़्त निकाल कर ब्लॉग पर आया कीजियेगा :-)


कभी फूल सी कोमल कभी कांटो की चुभन
जैसे मन चाहे चला देती ये कलम
कभी छोड़ देती फवार्रा हंसी का
अक्षर अक्षर में इनके सुनाई देती है कविता
न मुरझाई न बासी न लगे कभी मैली
सबसे अलग है हमारी "शैली " की शैली

शैली दी ब्लॉग पर आने का बहुत शुक्रिया और कामना कीजिये की मै भी आपकी तरह अच्छी कवितायें लिख सकू :-)



कविताओं में इनकी है अलग एहसास
आ गई थी मुझे पहली बार में वो रास
कभी सिखाती देश प्रेम देती कभी जीवन को आस
दिल और नाम दोनों में इनके बसा है "आकाश"

आकाश भाई सा स्नेह देने और ब्लॉग पर आने का बहुत बहुत धन्यवाद :-) अपनी कवितायेँ हमेशा सुनाते रहना


बातो में चंचलता मगर कवितायें हैं उदास
कविताओं का स्तर इनका है बहुत खास
"प्रीती बाजपाई " की प्रीत सदा रहे मेरे पास
सफलता मिलेगी इन्हें ऐसा मेरा है विशवास

प्रीती इतनी प्यारी सी दोस्ती के लिए बहुत सारा  प्यार ...ब्लॉग पर आती रहना

आवाज में इनकी कशिश  है गजब ..
केवल मै  ही नहीं फ़िदा हुए सब
"सुदीप" का  अंदाज है इतना खास
कविता को जैसे मिल जाए सांस

"सुदीप"  ब्लॉग पर आने का शुक्रिया ..अब आते रहिएगा ..

बात बात पे उडल  जाते इनके जज्बात ...
कविता ही लगती मुझे इनकी हर बात ...
दिल के साफ़ ...स्पष्टवादी जुबान ..
नाम है इनका अनुराग त्रिवेदी "एहसास"

अनुराग जी ब्लॉग पर आने का बहुत बहुत शुक्रिया ...मनोबल बढ़ाते रहिएगा और आते रहिएगा

-----सस्नेह पारुल'पंखुरी'





दिल की बातें ...





दिल की बातें ...

मेरे प्यारे ग्रुप "लाइफ इस ब्यूटीफुल" के सभी सदस्यों को पारुल पंखुरी का दिल से अभिनन्दन और धन्यवाद ......आप सभी मेरे ब्लॉग पर आये इसके लिए मै आपकी शुक्रगुजार हूँ ....इस ग्रुप ने ही मुझे अपनी काबिलियत को पहचानने का मौका दिया ...मेरे सभी मित्रो सचिन गुप्ता ,सचिन शर्मा ,मृदुला शुक्ला,समीर वत्स ,ऋतुराज,विष्णु,विपिन,आधार,अखिलेश सर ,दिव्या,नमिता,मेघा, नेहा ,ममता ,tatty ,सौमि ,आदित्य ,ललित शिखा ,शैली,रचना ,स्वाति ,विकास चोपड़ा ,विकास जैन और जितने भी नाम रह गए हैं वो सब ,इन सभी ने हर तरह से मुझे सपोर्ट किया है ....आज मै जो हूँ कहीं न कहीं इन सभी का योगदान है उसमे आप सब का दिल से धन्यवाद ...हमेशा हँसते मुस्कुराते रहिये :-)




मै आज धन्यवाद करना चाहूंगी अपने परिवार और अपने सभी मित्रो का ...विशेषतौर पर अपनी मम्मी "आशा मित्तल" का और अपने पापा "श्री नरेन्द्र मित्तल " का उन्होंने अपने बच्चो को इस काबिल बनाया ...मुझमें वो विशवास पैदा किया ..... की मै हर काम को अपना बेस्ट दे सकू ...अपने सभी भाई बहनों का अपने सभी ससुराल वालो का अपने पतिदेव का ..मेरी कविता की शुरुआत का बहुत बड़ा श्रेय उन्हें ही जाता है ....और मेरी सबसे अच्छी प्यारी दोस्त नीरू का जिसने हर वक़्त हर कदम पर मेरा साथ दिया ....और अपने बेटे स्पर्श का i love you बेटा :-)




उन सभी लोगो का भी धन्यवाद जो किसी न किसी रूप में मेरे जीवन में आये ...और कुछ न कुछ सिखा कर ही गए ...




अंत में ..नहीं अंत नहीं ईश्वर तो हर पल साथ है शुरू से अब तक ...मै कोटि कोटि धन्यवाद करती हु कृष्णा का जिन्होंने मुझे प्रेम करना सिखाया ...प्रेम की अनुभूति दी ...उसे अभिव्यक्त करने के लिए बुद्धी दी और महसूस करने के लिए दिल दिया मुझे अच्छे रास्ते पर चलना सिखाया ...आप हमेशा मेरे साथ रहे ...आगे भी रहिएगा




आप सभी का धन्यवाद कृपया समय निकल कर ब्लॉग पर आया कीजियेगा और मेरा मार्गदर्शन करते रहिएगा




----सस्नेह पारुल 'पंखुरी'
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...