प्रेम की कोई बात हो कह लो
चाँद से रोशनी उधार ले लो
फूलो से खुशबू तुम ले लो
टहनी की एक कलम बना लो
बस एक ख़त लिख दो
"क्या चाँद की चांदनी में
मै तुमको दिखाई देती हूँ ..
क्या पानी की कल कल में मै
तुमको सुनाई देती हूँ
क्या इन्द्रधनुष के रंगों में मै
झूमती नाचती लगती हूँ
क्या नीले ऊंचे आसमा में
उडती दिखाई देती हूँ ??
ये सारी बातें हमसे कह दो
कुछ अपने सपने तुम लिख दो
कुछ और नहीं कर सकते तो
कोरा सा एक कागज़ ले लो
लेकर अपने हाथो में, उसपे
प्यार भरा एक चुम्बन रख दो
देकर स्नेह स्पर्श ख़त को
अक्स अपना उसमे तुम भर दो
वो ख़त नहीं एक तोहफा होगा
अनमोल और अनोखा होग
देकर अपना वो स्नेह स्पर्श
मुझको थोडा और जिला दो
बस एक ख़त लिख दो
हाँ एक ख़त लिख दो
------------------------पारुल 'पंखुरी'
आह ! बहुत ही कोमल रचना है ...वेदना की लकीरों में बसी
ReplyDeleteSooo sweet :) :)
ReplyDeleteबहुत हुआ...अब जलाओ मत..
ReplyDeleteमुझको थोडा और जिला दो...
सुन्दर एहसास हैं पारुल..
सस्नेह
अनु
ReplyDeleteपंखुड़ी जी, बहुत कोमल भावनायों को सहेजा आपने
latest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।
वो गाना याद आ गया : लिखे जो ख़त तुझे वो फूल बन गए ....।
ReplyDeletebehad pyari abhivyakti mam..:)
ReplyDeleteबहुत ही कोमल भावभिव्यक्ति .. बहुत मधुर अहसासों के इर्द गिर्द दर्द के ताने बाने में रची सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई .
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (02.09.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
ReplyDeleteबहुत नाजुक ख्याल सजाए हैं इस रचना में
ReplyDeleteआशा
बहुत नाजुक ख्याल सजाए हैं इस रचना में
ReplyDeleteआशा
बहुत सुन्दर एहसास
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति .खुबसूरत रचना ,कभी यहाँ भी पधारें।
ReplyDeleteसादर मदन
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
बहुत खूब ... सब जगह तुम ही तुम दिखाई देती हो ... काश इतनी से बात कह दो ... सुन्दर कोमल भाव लिए है रचना ...
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