विचारों का समंदर, मन मथ रहा है
ख्वाहिशो का पारिजात
कभी नाउम्मीदी का हलाहल
स्वप्नों का कौस्तुभ
कभी जीवन रुपी ज्येष्ठा
मंथन , ज्वारभाटा उठा रहा है
तृष्णा लेखनी की, बढ़ा रहा है
.....
संभवतः धन्वन्तरी के आने की बाट जोह रही है ये !!!
-----पारुल 'पंखुरी'
पारिजात --पुरातन काल में समुन्दर मंथन के निकला एक दैवीय पेड़ जो न कभी मुरझा सकता है न मर सकता है
हलाहल ---मंथन के दौरान निकला विष
कौस्तुभ- उसी दौरान निकला एक नगीना जो मूल्यवान है
ज्येष्ठा --- पुरातन काल में समुन्द्र मंथन के दौरान निकली दुर्भाग्य की देवी
धन्वन्तरी --- समुन्द्र मंथन के दौरान निकले ये एक चिकित्सक थे जो अपने हाथो में अमृत लेकर आये थे
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (05.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [05.08.2013]
ReplyDeleteगुज़ारिश दोस्तों की : चर्चामंच 1328 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
मंथन के बाद ही मिलता है कुछ अमृत जैसा कुछ अच्छा....
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत मंथन .....
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार।
ReplyDeleteअनोखे बिम्ब से सजी अभिब्यक्ति ... जीवन मंथन कर दिया ... नाउम्मीदी के बादल जरूर चंतेंगे ... धनवंतरी आने को है ...
ReplyDeletebahut sundar rachna .............pahli baar aapke blog me shamil hui achha laga ...........
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना .... हर उपमा लाजवाब और पौराणिक कथा का संदर्भ रचना को बहुत रोचक ही नहीं सर-गर्भित भी बना रहा है .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर । सुंदर संदर्भ । परंतु ज्येष्ठा और कनिष्ठा को महाराष्ट्र में महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है ये दुरभाग्य की नही समृध्दी की दैवियां हैं गणेश चतुर्थी के बाद षष्ठी से अष्टमी तक होती है ये पूजा ।
ReplyDeleteआशा जी बहुत बहुत शुक्रिया :-) आपने जो कहा उसके बारे में मै ज्यादा नहीं जानती लेकिन मैंने इतना ही पढ़ा है की ज्येष्ठा दुर्भाग्य की देवी है और लक्ष्मी देवी की बेहेन हैं स्त्रियाँ इसकी पूजा करती हैं ऐसा भी मैंने पढ़ा है ताकि वो उनके घर परिवार से दूर रहे बाकी की जानकारी आपको इस लिंक से मिल सकती है .. http://en.wikipedia.org/wiki/Jyestha_(goddess) on
Deleteबेहतरीन बिम्ब और अतिसुंदर भाव...... खूब लिखा है
ReplyDeleteबहुत सुंदर आपकी ये कविता ..सुन्दरता के साथ साथ ये हमारे हिंदी शब्दों के ज्ञान में और भी इजाफा करती है ..और जो आपने हलाहल ..पारिजात ,कौस्तुभ की बातें की हैं ...अति सुंदर ..आपकी लेखनी की तृष्णा हमेशा ही अधूरी रहस्य ताकि आप ऐसी ज्ञानवर्धक कविताएँ हमे परोसती रहे ।
ReplyDeletebahut khoobsurat prastuti mam.. I am not in capacity to comment on the creation.. baut pyari hai bas.:)
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
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ReplyDeleteबेहतीन अभिव्यक्ति !
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