कभी ओस बन के ढलकी. बनी कभी आंसुओ की निशानी.. कविता नहीं ये जज्बात हैं मेरे .. बस इतनी सी है 'पंखुरी' की कहानी
पंखुरी के ब्लॉग पे आपका स्वागत है..
जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"
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Thursday, 18 October 2012
6 comments:
मित्रो ....मेरी रचनाओं एवं विचारो पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे ... सकारात्मक टिपण्णी से जहा हौसला बढ़ जाता है और अच्छा करने का ..वही नकारात्मक टिपण्णी से अपने को सुधारने के मौके मिल जाते हैं ..आपकी राय आपके विचारों का तहे दिल से मेरे ब्लॉग पर स्वागत है :-) खूब बातें कीजिये क्युकी "बात करने से ही बात बनती है "
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दुआ है तुम्हारी कोई भी चाह अधूरी न रहे .....बहुत सुंदर ....
ReplyDelete- शिखा
bahut bahut shukriya shikha :-)
Deleteजज्बात जागे है , मतलब कहीं न कहीं आपका अधूरापन भरने को है |
ReplyDeleteमेरी भी दुआएं क़ुबूल कीजिये |
shukriya aakash :-)
Deleteलगता है मेरे ही अधूरेपन को आपने पहले ही व्यक्त कर दिया था। मुझसे भी अच्छी तरह से >>http://corakagaz.blogspot.in/2013/05/bawara-man.html
ReplyDeleteबहुत खूब...एक ठहराव लिये खूबसूरत रचना.
ReplyDeleteदेव की कृपा आप पर सदैव बनी रहे.