तुम दूर जा रहे हो या पास आ रहे हो
ये किस तरह मेरे दिल को तडपा रहे हो
नजरे झुकाऊँ तो इनमे चेहरा तेरा
पलके उठाऊँ तो हर तरफ खालीपन मेरा
किस भ्रम से मुझको बहला रहे हो
तुम दूर जा रहे हो या पास आ रहे हो
आईने में तेरी छवि सी है
कानो में गूंजे तेरी बोली कवि सी है
तेरे बिना जिंदगी में कमी सी है
आईने के कर दिए टुकड़े मैंने
टुकड़े टुकड़े में फिर भी तुम मुस्कुरा रहे हो
तुम दूर जा रहे हो या पास आ रहे हो
जितना भुलाना चाहा उतना करीब आ गए तुम
याद बन के दिल में मेरे घर बसा गए तुम
आज भी दिल के तारो को झनझना रहे हो
तुम याद आ रहे हो....बहुत याद आ रहे हो
-------पारुल 'पंखुरी'
सुन्दर रचना |
ReplyDeleteshukriya aakash :-)
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