कभी ओस बन के ढलकी. बनी कभी आंसुओ की निशानी.. कविता नहीं ये जज्बात हैं मेरे .. बस इतनी सी है 'पंखुरी' की कहानी
पंखुरी के ब्लॉग पे आपका स्वागत है..
जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"
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Tuesday, 14 October 2014
6 comments:
मित्रो ....मेरी रचनाओं एवं विचारो पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे ... सकारात्मक टिपण्णी से जहा हौसला बढ़ जाता है और अच्छा करने का ..वही नकारात्मक टिपण्णी से अपने को सुधारने के मौके मिल जाते हैं ..आपकी राय आपके विचारों का तहे दिल से मेरे ब्लॉग पर स्वागत है :-) खूब बातें कीजिये क्युकी "बात करने से ही बात बनती है "
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ek alag hi rang liye hoti hain aapki rachnayen..!!bahut sudhi vichar..!!
ReplyDeleteakhil ji mere blog par aane aur apne vichar rakhne ke liye aapki dil se aabhari hun shukriya :-)
Deletebahut bahut shukriya ravikar ji
ReplyDeleteनिराशा और उदासी के बिखरे स्वर जब कविता बन जाएँ !
ReplyDeleteहिम्मत रखनी चाहिए ऐसे टूटते ख़्वाबों के बीच ... निराशा और भी निराश करती है ...
ReplyDeleteसबकी मन की बात...
ReplyDeleteकोमल भावपूर्ण रचना....