मेरे प्यारे दोस्तों ...आज बहुत दिनों बाद आप सब से रूबरू होने का मौका मिला ...इतने सारे कमेंट्स और notifications मिले ...पढ़ के मन प्रसन्न हो गया ...जिन्होंने मेरी अनुपस्थिति में मेरी रचनाओं को मान दिया उनका बहुत बहुत धन्यवाद ...और साथ ही माफ़ी मांगूंगी की मै समय पर उनके ब्लोग्स पर नहीं आ पाई ...
तो मेरे प्यारे दोस्तों मै हाजिर हूँ एक बार फिर आपके सामने एक नए प्रयोग के साथ .... कभी कभी कुछ बातें कविता से अलग होकर भी कविता ही लगती है ..इसी श्रृंखला में मैंने ये अनूठा प्रयोग करने की कोशिश की है ...इस उम्मीद के साथ की पसंद आने पर आप मेरा हौसला बढ़ाएंगे ..और जो कमी होगी वो भी मुझे बेहिचक बता देंगे ताकि मै और अच्छा लिखने को अग्रसर रहू ....
तो मेरे प्यारे दोस्तों मै हाजिर हूँ एक बार फिर आपके सामने एक नए प्रयोग के साथ .... कभी कभी कुछ बातें कविता से अलग होकर भी कविता ही लगती है ..इसी श्रृंखला में मैंने ये अनूठा प्रयोग करने की कोशिश की है ...इस उम्मीद के साथ की पसंद आने पर आप मेरा हौसला बढ़ाएंगे ..और जो कमी होगी वो भी मुझे बेहिचक बता देंगे ताकि मै और अच्छा लिखने को अग्रसर रहू ....
मेरे प्यारे दोस्तों ....
कभी कभी कुछ बातें भी इतनी खूबसूरत लगती की उनको सहेज कर रखने को जी चाहता है ....
इसी श्रृंखला में कुछ काल्पनिक लिखा तो सोचा की आप सबके साथ शेयर कर लूँ ..हो सकता है जैसे इसे पढ़ के मेरे दिल के तार झन झनाये वैसे ही आपके मन का भी कोई तार बजने लगे ये बस खतो के माध्यम से कुछ बातें कही गयी हैं ... ख़त है प्रेमिका का अपने प्रेमी के नाम ....
फरवरी १८,,, १९९७
मेरी जिंदगी .....
तुम सोच रहे होंगे की ये इतनी पुरानी तारीख़ क्यों डाली है इस ख़त पर ...तो वो इसलिए क्यूकी मेरी जिंदगी आज भी उसी पल में रुकी हुई है ....जब तुम मेरे साथ थे ...आज इतने दिनों के बाद तुम्हारा फोन आया ..यकीन मानो जैसे मै किसी नदी में डूब रही थी और तुम्हारी आवाज ने तिनके का सहारा दे दिया ..और मुझे फिर से जिन्दा होने का एहसास दिया ....जिस पल तुम्हारी आवाज मेरे कानो में पड़ी ..मानो एक और जिंदगी उसी पल जी ली मैंने ..कब शबनमी कतरे आँखों की कोर छोड़ कर मेरे होठो को चूमने लगे कुछ पता नहीं चला ..सब कुछ उस एक पल में हो गया ....तुमसे बात होने के बाद अब क्या कहूँ मेरा क्या हाल है ...मेरे कमरे की वो दीवारें जो आजतक मुझे बदरंग लगती थी आज अचानक वो मुझे रंग-बिरंगी और खूबसूरत लग रही हैं .....मै बोल रही हूँ तो भी लग रहा है की गुनगुना रही हूँ ..खाने - पीने की चीजो का स्वाद बढ़ गया है ..और एकदम से मेरा कुछ मीठा खाने का मन हो आया है ... मेरी डायरी और कलम मुझे प्यारी निगाहों से घूर घूर के देख रही हैं ..की अब तक जो दर्द की स्याही उन पर उड़ेलती आई हूँ मै, शायद आज प्यारा सा कोई नगमा लिख दू उनपर तो उनको भी चैन आ जाये ..ऐसा ही लग रहा है उनके मुझे देखने से !!! ओह ! मेरी जिंदगी तुम नहीं जानते ..मेरी जिंदगी में तुम्हारे होने के क्या मायने हैं ....बस अब कहीं मत जाना ..और जाना तो मेरी जिंदगी लेकर जाना ......
जिंदगी की सारी खुशियाँ तुम्हारे नाम
सिर्फ तुम्हारी
कभी कभी कुछ बातें भी इतनी खूबसूरत लगती की उनको सहेज कर रखने को जी चाहता है ....
इसी श्रृंखला में कुछ काल्पनिक लिखा तो सोचा की आप सबके साथ शेयर कर लूँ ..हो सकता है जैसे इसे पढ़ के मेरे दिल के तार झन झनाये वैसे ही आपके मन का भी कोई तार बजने लगे ये बस खतो के माध्यम से कुछ बातें कही गयी हैं ... ख़त है प्रेमिका का अपने प्रेमी के नाम ....
फरवरी १८,,, १९९७
मेरी जिंदगी .....
तुम सोच रहे होंगे की ये इतनी पुरानी तारीख़ क्यों डाली है इस ख़त पर ...तो वो इसलिए क्यूकी मेरी जिंदगी आज भी उसी पल में रुकी हुई है ....जब तुम मेरे साथ थे ...आज इतने दिनों के बाद तुम्हारा फोन आया ..यकीन मानो जैसे मै किसी नदी में डूब रही थी और तुम्हारी आवाज ने तिनके का सहारा दे दिया ..और मुझे फिर से जिन्दा होने का एहसास दिया ....जिस पल तुम्हारी आवाज मेरे कानो में पड़ी ..मानो एक और जिंदगी उसी पल जी ली मैंने ..कब शबनमी कतरे आँखों की कोर छोड़ कर मेरे होठो को चूमने लगे कुछ पता नहीं चला ..सब कुछ उस एक पल में हो गया ....तुमसे बात होने के बाद अब क्या कहूँ मेरा क्या हाल है ...मेरे कमरे की वो दीवारें जो आजतक मुझे बदरंग लगती थी आज अचानक वो मुझे रंग-बिरंगी और खूबसूरत लग रही हैं .....मै बोल रही हूँ तो भी लग रहा है की गुनगुना रही हूँ ..खाने - पीने की चीजो का स्वाद बढ़ गया है ..और एकदम से मेरा कुछ मीठा खाने का मन हो आया है ... मेरी डायरी और कलम मुझे प्यारी निगाहों से घूर घूर के देख रही हैं ..की अब तक जो दर्द की स्याही उन पर उड़ेलती आई हूँ मै, शायद आज प्यारा सा कोई नगमा लिख दू उनपर तो उनको भी चैन आ जाये ..ऐसा ही लग रहा है उनके मुझे देखने से !!! ओह ! मेरी जिंदगी तुम नहीं जानते ..मेरी जिंदगी में तुम्हारे होने के क्या मायने हैं ....बस अब कहीं मत जाना ..और जाना तो मेरी जिंदगी लेकर जाना ......
जिंदगी की सारी खुशियाँ तुम्हारे नाम
सिर्फ तुम्हारी
प्यार और अपनेपन का अहसास ...बेरंग जिन्दगी में खुशियों के रंग भर देता है ,,,और फिर जिन्दगी जीने का नया ज़स्बा...आसमान पे उड़ने की चाहत....सब कुछ अच्छा ही अच्छा ....
ReplyDeleteशुभकामनायें!
बहुत सुंदर काबिले तारीफ प्रस्तुति ,,,
ReplyDeleteRecent post: एक हमसफर चाहिए.
जिंदगी के स्याह पन्नो पर झूठ और सच के रंगों में अंतर करना बड़ा मुश्किल हो जाता है . जब झूठ को सच और सच को झूठ कहने का मन करे , जब काले रंग में इन्द्रधनुष देखने की कोशिश हो जब अंधियारे में दूर मृग मरीचिका सी लौ दिखाई दे तब जीने का सबब बना रहता है.
ReplyDeleteआपका लव लेटर बहुत अच्छा है । :)
प्रेमपगे भाव.....
ReplyDeleteलव लेटर बहुत ही रोमांटिक... प्रेमी की आवाज सुनकर प्रेमिका के बैचनी की सुंदर अभिव्यक्ति .......!!
ReplyDeleteबहुत ही प्यारा प्रेम पत्र .... आपकी यह उत्कृष्ट रचना कल दिनांक 30 जून 2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है , कृपया पधारें व औरों को भी पढ़े...
ReplyDeleteअपनेपन का अहसास .
ReplyDeleteगहरे प्रेम का एहसास लिए ... पुराना खत ...
ReplyDeleteसफल है आपका प्रयास पीछे खींच ले जाने के लिए ...
बहुत भावभीना है पंखुरी जी प्रेमपत्र ....बहुत खूबसूरत....
ReplyDeletesunder:)
ReplyDeleteप्रेमपत्र किसी के भी हों...अच्छे लगते हैं... प्रेम से भरे जो होते हैं..
ReplyDeleteप्रेम का खूबसूरत एहसास ।
ReplyDeleteगहरे प्रेम का एहसास
ReplyDeleteप्रेम का कोमल अहसास
ReplyDeleteमन को छूती हुई सुंदर अनुभूति
बेहतरीन
बधाई
दिल से निकली रचनाओं में एक अलग ही अभिव्यक्ति होती है ..
ReplyDeleteमज़बूत कलम अपने निशाँ अवश्य छोडती है ..
बधाई !
Mai bahot khush hu aap ka blog dekhne ka mauka mila.aap rehbari se yah aashan huaa.shukriya
ReplyDeleteप्रेम पत्र.............
ReplyDeleteबस एक लफ्ज़ ही काफी है मन के भीग जाने को....
महकती हुई पोस्ट..
सस्नेह
अनु