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जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Wednesday, 4 December 2013

बस वही ..


सूरज कि किरण ,सुनहरी हिरण
चिड़ियों कि चहक फूलो कि महक
आसमां तारो भरा ,प्यारी सी ये धरा
रेशम का दरीचा ,खुशबु भरा बगीचा
चाहिए क्या प्यारी ये तो बता ?
नहीं नहीं ..... ये नहीं
चाहिए मुझे तो, बस वही .....बस वही

सपने मखमली जिनकी खिड़की है खुली
थोड़ी धूप आने दे उन्हें गुनगुनाने दे
दरिया दौड़ता नीला ,तारा सबसे चमकीला
तितलियाँ आसमानी ,ख्वाइश कोई पुरानी
नई सुबह कि आस , कुछ और सांस ??
चाहिए क्या प्यारी ये तो बता
नहीं नहीं .. इनमे से कुछ नहीं
चाहिए मुझे तो बस वही बस वही
बस वही .....................
---------------------------------पारुल 'पंखुरी'

4 comments:

  1. उस एक के होने से ही तो सब कुछ है ...
    लाजवाब ...

    ReplyDelete
  2. गहरी अभिव्यक्ति.....चाहतों से समझौता मुश्किल से होता है ....

    ReplyDelete
  3. बहुत खूबसूरत अहसासों को आपने अपनी रचना में पिरोया है। . एक सुन्दर कविता।

    ReplyDelete
  4. सरस ! अत्यंत भावपूर्ण !

    ReplyDelete

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