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जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Monday, 22 April 2013

"धरा दिवस"


आओ मिलकर हम सब बचाएँ
पृथ्वी अपनी प्यारी ,
नहीं तो प्रलय से पहले ही कर लो
विनाश की तैयारी ,
हर घर में लगायें पेड़ पौधे
सींचे स्नेह  से क्यारी ,
तभी सुरक्षित रह पाएगी
हमारी नव्या फुलवारी 
धरा दिवस पर आज एक घंटा  ..
बंद कर दो  बिजली  सारी ..
रहो  प्रकृति माँ की गोद में
तन मन में महकेंगी खुशिया न्यारी ..
बूँद बूँद जल भी है कीमती
व्यर्थ इसे न तुम गंवाओ
खुद समझो जल का महत्व .
और बच्चो  को अपने समझाओ ..
गर बुद्धि  को किया  नहीं तुमने ये नोटिस जारी .
प्यासे मरेंगे पशु ,पक्षी ,बच्चे और  सब नर नारी ..
आओ मिलकर करें संकल्प जन-जन को हमे जगाना है
आज  नहीं हर दिन हर पल हमे "धरा दिवस" मनाना है

--------पारुल'पंखुरी'






6 comments:

  1. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,प्रेरक रचना,,,

    RECENT POST : प्यार में दर्द है,

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  2. सार्थक रचना ...
    सच है पृथ्वी तभी बचेगी जब हम जागेंगे ... जरूरी है अभी से संज्ञान लेना ...

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  3. धरती माँ को सहेजना हमारी साझी जिम्मेदारी है ...सुंदर कविता

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  4. विश्व पृथ्वी दिवस पर अच्छा संदेश देती हुई सुन्दर कविता. हम सब की जिमेवारी है कि पर्यावरण बचने की दिशा में सार्थक पहल करें. धन्यवाद.

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  5. बहुत प्रेरणादायक रचना ....ऐसी सोच हम सबकी हो जाए तो धरती पर स्वर्ग उतर आये ...

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