
मन ...
असीम वेदना की गागर ...
आँखें ....
अपलक शून्य निहारती ....
तन ...
हाड मांस का पुतला ....
दिमाग ....
नसों का जमावड़ा ....
होंठ ....
निःशब्द बेअसर ...
कान ...
गूंजते शब्दों के भंवर ...
अच्छा होता ...
अगर ....
दिल भी ..
एक यन्त्र भर होता ....
जिसमे ..
ना कुछ पाने की लालसा होती ....
ना कुछ खोने का डर ....
-------------------------------पारुल'पंखुरी
जीने का मकसद ही ख़त्म होता तब तो.....
ReplyDeleteलालसाएं हैं,डर है तभी तो ललक है....
:-)
अनु
हाँ अनु दी सब है और सबसे ज्यादा "दर्द" वो भी तो मुए दिल की वजह से ही है !!!!
Deleteदिल भी ..
ReplyDeleteएक मशीन भर होता ....
जिसमे ..
ना कुछ पाने की लालसा होती ....
ना कुछ खोने का डर ....very good...
nice creation...
thank u harpreet ji :-)
Deleteकितना ठीक कहा है किसी शायर ने ...
ReplyDeleteग़म ग़र इतने थे मेरी किस्मत में..
तो या रब दिल भी कई दिए होते ???
खुश रहें !
अशोक जी जिस भी शायर का शेर है बहुत ही लाजवाब है ...ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया .. आपका ये आशीर्वाद खुश रहे देखकर ही स्माइल आ जाती है :-)
Deleteदर्द में मुस्कराना बेहद ज़रूरी है
ReplyDeleteदर्द को ना जताना बेहद ज़रूरी है
दर्द को पी जाना बेहद ज़रूरी है
दर्द को अपनाना बेहद ज़रूरी है
दर्द तो सिर्फ अपना है "निर्जन"
दर्द को दर्द में यह समझाना बेहद ज़रूरी है |
बहुत सुन्दर रचना लिखी आपने पंखुड़ी | आभार
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
तुषार जी आप ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की उसके लिए आपकी आभारी हूँ ... :-)
Deleteदिल को मशीन बनाना आसान नहीं ... दिल की उमंगों का क्या होगा ...
ReplyDeleteदिगम्बर जी दिल मशीन हो जायेगा तो उमंगें होंगी ही नहीं ...ब्लॉग पर आने और कमेंट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद :-)
Deleteबहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति
ReplyDeleteबसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
संजय आपको भी बसंत पंचमी की शुभकामनाएं :-) प्रयास को सराहने के लिए शुक्रिया :-) क्या आप गूगल + पर है??
Deletenow this one was ultimate.
ReplyDeletesaying everything in few words is quite more effective and impressive.
kudos for this one especially...
Thanks a lot savi :-)
Deleteआपकी ये पंक्तियाँ दिल को छू गयीं ...
ReplyDeleteshukriya shikha ....lekin fir wahi agar dil na hi hota to achha tha :-)
Deleteati sunder.......................
ReplyDeleteshukriya anand ji :-)
DeleteNeeraj ji ke blog par aap dono ki rachna padhi, bahut khub. Aapki ye rachna bhi lajabab hai. Agar dil kewal mashin hota to hum bhi prakriti ki shesh chijon ki tarah vyawahar karte. Ya kya pata, baki chijon me bhi dil naam ki chij hoti ho, jise mahshush karne ka samarthya hamme nahi ho.
ReplyDeletebahut bahut shukriya rajeev ji mere blog par aapka swagat hai :-) haan aap thek kh rahe hain shayad ...dil hai tabhi aisi baat kh paa rahe hain :-) blog par aate rahiyega :-)
Deleteजो ऐसा होता तो दर्द भी न होता ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteक्या होता है सच
shukriya shikha :-)
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