कभी ओस बन के ढलकी. बनी कभी आंसुओ की निशानी.. कविता नहीं ये जज्बात हैं मेरे .. बस इतनी सी है 'पंखुरी' की कहानी
पंखुरी के ब्लॉग पे आपका स्वागत है..
जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"
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Sunday, 10 February 2013
24 comments:
मित्रो ....मेरी रचनाओं एवं विचारो पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे ... सकारात्मक टिपण्णी से जहा हौसला बढ़ जाता है और अच्छा करने का ..वही नकारात्मक टिपण्णी से अपने को सुधारने के मौके मिल जाते हैं ..आपकी राय आपके विचारों का तहे दिल से मेरे ब्लॉग पर स्वागत है :-) खूब बातें कीजिये क्युकी "बात करने से ही बात बनती है "
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति पारुल | बधाई
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
शुक्रिया तुषार जी आप मेरे ब्लॉग पर आये अच्छा लगा आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा आगे भी आते रहिएगा :-) आभार
Deleteजहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि महा 'राज'.....
Deleteखूबसूरत सपने से उदासी का सफर ... अश्कों की भाषा का गहरा एहसास ... दोनों ही जरूरी हैं जीवन में ...
ReplyDeleteदिगंबर जी शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए ..बिलकुल सही कहा आपने ..जीवन के लिए सुख दुःख दोनों ही जरुरी हैं ...
Deleteमैंने जैसी पृष्ठभूमि की कल्पना की थी. बिलकुल वैसा ही पाया... फूलों पर ओस की बूँदें...वाह पारुल...वाह...
ReplyDeleteशुक्रिया नागार्जुन ...आपने बहुत देर की आने में :-)
Deleteशब्दों के साथ पूर्ण विराम, अर्ध विराम, कौमा और अन्य चिह्नों का भी उचित प्रयोग करो पंखुरी...बहुत ख़ुशी हो रही है तुम्हे ब्लॉग पर देख कर.
ReplyDeleteजी बिलकुल आगे से ध्यान रखूंगी ...
Deleteबहुत सुन्दर.. तुम इतने अच्छे चित्र कहाँ से लगाती हो , बड़े प्रासंगिक लगते है.
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत स्वागत है |
ReplyDeleteआपके इस पोस्ट की चर्चा बुधवार के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |
बहुत बहुत शुक्रिया आपका :-)
DeleteBahut Sunder....
ReplyDeleteशुक्रिया :-)
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteशुक्रिया शालिनी जी :-)
Deleteवाह ...खूबसूरत ख़याल ..
ReplyDeleteशुक्रिया अखिल जी :-)
Deleteबहुत सारा शुक्रिया :-)
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteLatest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
धन्यवाद आपका कालिपद जी :-)
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletebehad khubsurat magar kucch adhura sa laga........
ReplyDeleteDear savi thank u :-) haan adhura sa hai sab kuch ..read ths one may b u undrstand after that :-)
Deletehttp://parulpankhuri.blogspot.in/2012/10/blog-post_8476.html