
ॐ गणेशाय नमो ....
छन्द पकैया छन्द पकैया छंद की अलग है शान ...
'पंखुरी' के आँगन में आज आये खूब मेहमान .....
स्वागत रसम ....
भावनाओं के हैं रोली चावल ..
मुस्कराहट का बनाया है पुष्प हार ...
आप सभी अतिथि जन को ..
पारुल पंखुरी का प्रेम भरा नमस्कार ...
दिल से अपने दीजिये आज मुझे आसीस ...
कर बद्ध खड़ी हूँ मै झुकाए अपना सीस ...
बांटू खुशिया कर दूँ ..अँधेरे जीवन में उजियारा ...
ऐसा आसीस दीजिये हो जाए जीवन न्यारा ...
भावनाओं के हैं रोली चावल ..
मुस्कराहट का बनाया है पुष्प हार ...
आप सभी अतिथि जन को ..
पारुल पंखुरी का प्रेम भरा नमस्कार ...
दिल से अपने दीजिये आज मुझे आसीस ...
कर बद्ध खड़ी हूँ मै झुकाए अपना सीस ...
बांटू खुशिया कर दूँ ..अँधेरे जीवन में उजियारा ...
ऐसा आसीस दीजिये हो जाए जीवन न्यारा ...
मुंह मीठा कीजिये ....
सबसे पहले आपका मुंह मीठा कराती हूँ ...
बातो के रसगुल्ले आप सबको खिलाती हूँ ...
रसगुल्ले की थाली अपने हाथो में सजाती हूँ ..
साथ ही आपको अपने "chief guest " से मिलवाती हूँ ..
सबसे पहले आपका मुंह मीठा कराती हूँ ...
बातो के रसगुल्ले आप सबको खिलाती हूँ ...
रसगुल्ले की थाली अपने हाथो में सजाती हूँ ..
साथ ही आपको अपने "chief guest " से मिलवाती हूँ ..
मुख्य अतिथि परिचय ...
उपलब्धियां इनकी गिनाऊ तो ..
हो जायेगी सुबह से शाम ....
फिजिक्स के हैं महान ये ज्ञाता ...
दिल से करते हैं हर काम ...
पेशे से हैं वैज्ञानिक परन्तु ..
कवि इनके ह्रदय में बसता
काव्यालय के एडमिन के रूप में ..
इनका नाम बहुत ही जंचता ...
कविता जैसे इनके रग रग में है बसती ..
फिजिक्स में भी इन्हें तो कविता ही है दिखती
रहते हैं विदेश में पर करते हैं देश से बहुत प्यार ...
काव्यालय में इनसे सब पाते हैं लाड दुलार ...
मध्यम को उत्तम ..उत्तम को अति उत्तम ...
करने की ये हैं राह दिखलाते ....
गलतियों पर भी ये बड़े प्यार से हैं समझाते ...
वैज्ञानिक,प्रतिभाशाली,कवि ,गुरु ...
उससे भी अच्छे हैं ये इंसान ....
इन शुभ हाथो से करने प्रारंभ ...
निवेदन करके इन्हें बनाया है "मुख्य मेहमान "
बहुमुखी प्रतिभा के धनी जिनका किया न जा सकता बखान
ऐसे हैं हमारे मुख्य अतिथि "श्री विनोद तिवारी " है जिनका नाम
विनती है आपसे कविताओं पे मेरी ..
सदा बनाये रखियेगा यूँ ही अपना प्यार ...
और अपनी बातो का जादू बिखेरने ...
ब्लॉग पर आते रहिएगा बारम्बार ...
ब्लॉग पर आने और विशेष आतिथ्य स्वीकार करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार विनोद तिवारी सर :-) अपना आशीर्वाद सदैव मुझ पर बनाये रखियेगा :-)
हो जायेगी सुबह से शाम ....
फिजिक्स के हैं महान ये ज्ञाता ...
दिल से करते हैं हर काम ...
पेशे से हैं वैज्ञानिक परन्तु ..
कवि इनके ह्रदय में बसता
काव्यालय के एडमिन के रूप में ..
इनका नाम बहुत ही जंचता ...
कविता जैसे इनके रग रग में है बसती ..
फिजिक्स में भी इन्हें तो कविता ही है दिखती
रहते हैं विदेश में पर करते हैं देश से बहुत प्यार ...
काव्यालय में इनसे सब पाते हैं लाड दुलार ...
मध्यम को उत्तम ..उत्तम को अति उत्तम ...
करने की ये हैं राह दिखलाते ....
गलतियों पर भी ये बड़े प्यार से हैं समझाते ...
वैज्ञानिक,प्रतिभाशाली,कवि ,गुरु ...
उससे भी अच्छे हैं ये इंसान ....
इन शुभ हाथो से करने प्रारंभ ...
निवेदन करके इन्हें बनाया है "मुख्य मेहमान "
बहुमुखी प्रतिभा के धनी जिनका किया न जा सकता बखान
ऐसे हैं हमारे मुख्य अतिथि "श्री विनोद तिवारी " है जिनका नाम
विनती है आपसे कविताओं पे मेरी ..
सदा बनाये रखियेगा यूँ ही अपना प्यार ...
और अपनी बातो का जादू बिखेरने ...
ब्लॉग पर आते रहिएगा बारम्बार ...
ब्लॉग पर आने और विशेष आतिथ्य स्वीकार करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार विनोद तिवारी सर :-) अपना आशीर्वाद सदैव मुझ पर बनाये रखियेगा :-)
आज पारुल के ब्लॉग का उदघाटन करने में मुझे अत्यधिक हर्ष हो रहा है। पारुल से मेरा परिचय फेसबुक के अपने काव्यालय कुटुंब के माध्यम से हुआ था। आरम्भ से ही मैं पारुल की कविताओं का प्रशंसक रहा हूँ। पारुल की कविताओं में गहन अनुभूति और कुशल अभिव्यक्ति है। उसकी कविताओं में मानवीय भावनाओं की एक विशेष कोमलता है। पीड़ा तो काव्य का उद्गम ही है। पारुल की कविताओं में जो पीड़ा झलकती है उसमे वेदना है किन्तु नैराश्य नहीं। शब्दों के उपयुक्त चयन से पारुल की कविताओं की वेदना में एक अनोखा काव्यात्मक सौंदर्य झलकता है।
ReplyDeleteजैसे पहली कविता "काश तुम होते" की प्रथम पंक्ति में ही इतनी सशक्त भावनाओं की अनुभूति है - एक कसक, एक कामना। और यह पंक्ति "कुछ और बात होती।" क्या बात होती यह कहने के स्थान पर केवल यह कहना कि "कुछ और बात होती" इस कविता को एक रहस्यात्मक सौंदर्य प्रदान करता है। ऐसे ही " अपना आसमान" में सोन चिरैया की वेदना एक मानवीय वेदना है। "तुम दूर जा रहे हो' में विरह की विवशता और उस पर एक बेबस प्रतिक्रया - आईने को तोड़ देने से पीड़ा कम नहीं - "आईने के कर दिए टुकड़े मैंने, टुकड़े टुकड़े में फिर भी तुम मुस्कुरा रहे हो।".आईने को एक मानवीय क्रिया है मगर उस के टुकड़े कर देने से उसकी छवि और सब जगह बिखर जाती है जिससे विरह की पीड़ा और बढ़ जाती है। यह एक ऐसा अनुभव है जिसे सभी पाठक अनुभव कर सकते हैं। यह कविता का विशेष गुण है कि कवि अपने अनुभव और अनुभूतियाँ पाठकों पर प्रक्षेपित कर सकता/सकती है। "प्रेम में बावरी प्रीती के रंग से मैं तो ऐसी रंगी" इस कविता में मीरा की शैली की झलक मिलती है।
सभी कवितायें बहुत अच्छी है किन्तु मुझे "अधूरा आकाश" विशेष रूप से प्रभावकारी लगी। अधूरा पन हमारे जीवन की एक विवशता भी है और एक यथार्थ भी। सब चीज़ें अधूरी लगती हैं। इस कविता की प्रत्येक पंक्ति जीवन के एक विशेष अधूरेपन का दर्पण है। एक तरह से यह अधूरेपन की संपूर्ण अनुभूति है। कविता की अंतिम पंक्ति एक प्रश्न पर समाप्त होती है जो प्रश्न नहीं, एक गिला है अपने आप से, अपने व्यक्तित्व से। लगता है की यदि सारा अधूरापन पहचान लिया तो संभवतः मन को भावनाओं से मुक्ति मिल जाए किन्तु "सब कुछ अधूरा फिर क्यों जगे जज़्बात". यह इस कविता की उत्तम पराकाष्ठा है जो मुझे बहुत सुन्दर लगी।
पारुल के काव्यात्मक नाम पंखुरी से ही कविताओं की कोमलता प्रदर्शित होती है। पारुल का आत्मपरिचय "कभी ओस बन के ढलकी. बनी कभी आंसुओ की निशानी.. कविता नहीं ये जज्बात हैं मेरे.. बस इतनी सी है 'पंखुरी' की कहानी" उस के काव्यात्मक व्यक्तित्व की झलकी है जो सभी कविताओं में निहित है। ऐसा लगता है कि अपनी कविताओं की माला में पारुल ने अपनी भावनाएं ही नहीं, किन्तु अपने काव्यात्मक व्यक्तित्व को ही पिरो दिया है।
ब्लॉग की सज्जा तो बहुत सुन्दर है। चित्रों का चयन बहुत सुन्दर है और उपयुक्त है जो कविताओं की भावनाओं का प्रतिबिम्ब है। ब्लाग में ऐसा लगता है कि जैसे किसी कविता के उद्यान में आ गए हैं जहां काव्य-कुसुम खिले हुए हैं। आजकल ब्लॉग अपने विचारों और सृजन को समाज के सम्मुख लाने का एक सशक्त माध्यम है जिसका पारुल ने कुशलता पूर्वक उपयोग किया है। ऐसे सुन्दर ब्लॉग के लिए पारुल को बधाई।
आज का दिन और भी विशेष है क्योंकि यह पारुल का जन्म दिन है। पारुल को जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाएं।
पारुल, तुम्हारे जन्म दिन पर तुम्हारे ब्लॉग का हार्दिक स्वागत। ये पंक्तियाँ तुम्हारे ब्लॉग के स्वागत में तुम्हारे लिए:
शुभ्र पारुल पंखुरी समान,
कला का तुम्हे मिला वरदान।
काव्य कुसुमो से खिलता रहे
तुम्हारी कविता का उद्यान।
विनोद तिवारी
फरवरी 2, 2013
विनोद सर ब्लॉग पर आने और अपना कीमती समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ...आप जिस तरह से कविता को समझते और महसूस करते हैं जिस तरह उसे विस्तार पूर्वक समझाते हैं मुझे खुद अपनी कविता के नए मायने नजर आने लगते हैं अपना आशीर्वाद ऐसे ही बनाये रखियेगा और मार्गदर्शन करते रहिएगा ... मेरे ब्लॉग को सदैव आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी
Deleteपारुल.... :)
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई....
एक बात समझमें नहीं आई --तुम पिछले अक्तूबर से ब्लॉग शुरू क्र चुकी हो --फिर आज यह उदघाटन...!! ?
जो भी हो लिखो और लिखती रहो यह शुभकामनाएँ......
राजू ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद ..हाँ पिछले अक्तूबर से बना रही हु ब्लॉग लेकिन जब तक मन को पूरी तरह संतुष्टि नहीं मिली तब तक लोगो से इसका परिचय नहीं कराया ...और मेरा ये भी मन था की एक मुहूर्त की तरह मै इसको शुरू करूँ जैसे किसी भी अच्छे काम के लिए करते हैं ..और हाँ आपके लिए जलपान की व्यवस्था है वो सेक्शन जरुर पढ़ें क्युकी उसी में आपके बारे में लिखा है :-) आशा है आपको आज की दावत पसंद आये
Deleteपारुल नए blog के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं....
ReplyDeleteतुम्हारी रचनात्मकता दिनों दिन बढ़ती चली जाय ये मेरी कामना है....
सस्नेह
अनु दी
anu di aapka bahut bahut dhanyavaad ..aisi kaamana poori ho jaye aur dino din meri rachnaatmakta badhti jaaye bs aise hi aashirvaad banaye rakhiyega ...love u :-)
Deleteबहुत सारी बधाईयाँ और शुभ-कामनायें ....माँ सरस्वती की कृपा तुम पर सदा बरसती रहे
ReplyDelete- शिखा
bahut saara shukriya shikha maa saraswati ki kripa barasti rahe aisa aashirvaad aaj aavshayak tha ...gala bahut kharab hai socha tha ek audio banaungi blog ke liye ..ab aisa aasirvaad mila hai jarur safal ho jaungi thanx :-)
DeleteMany best wishes di
ReplyDeletegaurav thanx a ton :-)
Deleteमाँ का आशीष उसे मिलता है, जो अभिव्यक्ती में उसका गुणगान करता है |
ReplyDeleteभाव छन्द अनवरत मिलते उनकी बातों में जो माँ का दुलारा बना रहता है ||
माँ शारदा सदा आप पर आशीष स्नेह की वर्षा करती रहें इस ..
<3
शुभ मंगल कामनाओं के साथ, आपको ढेर सारी शुभकामनायें !
<3
अनुराग "एहसास
aapki itni shubh kaamnao ke liye dher saara shukriya anurag ji blog par aate rahiyega :-)
Deleteॐ गणेशाय नमो ....
ReplyDeleteछन्द पकैया छन्द पकैया छंद ....
पढ़कर ये सब कुछ मीठा हो गया मन ....
प्यारी बहना तुम लिखना लिखते रहना
भरते रहना इस खूबसूरत पन्ने पर
खूबसूरत सब्दों का रंग ....
हम पढ़ते रहेंगे तुम्हें इन सब्दों मे....
मेरी बस यही आवाज़ चलना साथ साथ ....
ब्लॉग की भी दुनिया मे करते रहना आगाज....:))*
~ Prasneet ~
dear prasaneet bahut khoobsurat khayal aur andaaj bhi ...thanx a lot for coming aate rehna :-)
Deleteshubhkaamnayein
ReplyDeleteबातें बहुत चटपटी इनकी सबके मनको भायें
काम अनेकों साथ करें ज्यों पंचभुजी बन जायें ।
बन जाएँ क्यूँ पञ्च भुजी पारुल 'पंखुरी' जी न
पारुल केरी पांच पंखुरियां एक एक दुई तीन
जन्म दिवस की तुम्हें बधाई, मिलें काव्य की सौगातें
ब्लॉग बने उत्कृष्ट, कहो मुखर दिल की बातें ।।
पारुल जी आप के ब्लोग से मेने कुछ पंक्तिया ली है और मेने एक मंच का सञ्चालन आप की पंक्तियों से किया है
ReplyDeleteधन्यवाद
आदरणीय सुरेश भाटी जी अच्छा लगा ये जानकर की मेरी पंक्तियाँ आपको पसंद आई और आपने मुझे इसकी सूचना भी दी | धन्यवाद आपका अगर मै वो विडियो या ऑडियो देख सकूँ या सुन सकूँ तो मुझे भी अच्छा लगेगा आपने कौन सी पंक्तियाँ ली थी ?
Deletenicc thought
ReplyDelete