दोस्तों ....आज मै अपनी लिखी कविता 'ख्याल ' का विडियो आप सब के समक्ष प्रस्तुत कर रही हु ..इस में मैंने कविता को अपनी आवाज और अपने पसंद के चित्रों से सजाया है ...आप सब इस पर प्रतिक्रिया अवश्य दे इससे मुझे और अच्छा करने का हौसला मिलेगा ....धन्यवाद
फिर वो ही सौंधी खुशबु
वो ही मीठा मीठा सा दर्द
वो ही दिन वो ही महीना
गुनगुनी सी धूप ..और रातें सर्द
कौन रंगों से आज आसमान सजा गया
प्यार का रंग चारो और छा गया
आज फिर उसका ख्याल आ गया
हलकी लाल आँखों से उसका
वो कनखियों से देखना
चुप रहके मुस्कुराना
बिन कहे ही सब समझना
कभी कुछ कहा नहीं उसने
जाने कैसे दिल उसकी गिरफ्त में आ गया
सादगी उसकी ..भोलापन .. दिल को भा गया
आज फिर उसका ख्याल आ गया
ना उसने कुछ कहा कभी
न मै कह पाई
जानता वो भी था ..समझती मै भी थी
फिर भी होंठो तक कभी ये बात नहीं आई
आज तक जो नहीं कहा वो आज मै कहना चाहती हूँ
ऐ महकी हवाओ ...
मेरा ये संदेसा उन तक पंहुचा देना
और कहना उनसे
मुझे उनसे
मोहब्बत है ...
मोहब्बत है ...
मोहब्बत है ....
----------------पारुल'पंखुरी'
पारुल ...बहुत सुंदर और कोमल एहसासों वाली कविता ....उस पर प्रस्तुतिकरण ...लाजवाब ....विडिओ में जो भी दृश्य हैं ...सभी बहुत मनभावन हैं और कविता की कोमलता को दुलारते हैं .........बहुत-बहुत बधाई
ReplyDelete- शिखा
शिखा बहुत बहुत आभार :-)
Deletelovely poem parul ji... :)bahut sundar
ReplyDeleteगौरव बहुत बहुत धन्यवाद :-)
Deleteपारुल : ओसबिंदु की आवाज़ होगी तो शायद एसी होगी....!! फूलों के पास शब्द होंगे तो शायद ऐसे होंगे....!! तितली के रंगों का अगर कोई भाव होगा तो कुछ ऐसा होगा...!! हवा की लहर कभी डाकिया बनी होगी तो यही मौका रहा होगा....!! समय कभी दम भरता होगा तो वो यही अवकाश होगा...!!
ReplyDeletewaah kya khoob kha aapne...sach me padhkar bhut achha lga..humein to sahi se appreciate krna bhi nhi aata...
Deleteराजू तुम्हारा कमेंट ही मै 20 बार पढ़ चुकी हु अब तो ये भी याद नहीं कविता क्या थी मेरी ...बहुत ही सुन्दर शब्दों में मेरी तारीफ कर दी बहुत बहुत शुक्रिया :-)
Deleteजज्बातों की चासनी में सनी मीठी गोली सी कविता, हवा में पंख लगा कर उड़ने की अनुभूति देती हुई. जैसे किसी के गोद में सर रखा हो और कोई धीमे धीमे मेरे बालों को सहला रहा हो, और उसपर आपकी आवाज उफ़ क्या कहूँ, आनंददायक, अप्रतिम, अदभुत.. ...
ReplyDeleteबहुत अभूत शुक्रिया नीरज इतनी सुन्दर तो कविता भी नहीं मेरी जितने सुन्दर शब्दों में तुमने तारीफ कर दी :-)
Deleteखूबसूरत जज्बातो से सजी सुंदर कविता, खूबसूरत आवाज में सुंदर प्रस्तुतिकरन के साथ | बहुत खूब पारुल जी | आपका यह अंदाज भी बढ़िया रहा |
ReplyDeleteप्रदीप जी ब्लॉग पर आने और मेरे प्रयासों को सराहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद :-)
Deleteअच्छी लगी ....शब्द और आवाज़ दोनों हृदयस्पर्शी....
ReplyDeleteमोनिका जी हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया :-) चैतन्य ने भी सुनी क नहीं ये कविता मुझे उसका रिएक्शन भी chaiye :-)
DeleteAaj Fir Uska Khyaal Aa Gaya ,
ReplyDeleteNa Usne Kuch Kaha Kabhi,
Na Mai Kah Payi,
Janta Wo Bhi Tha,
Samajhti Mai Bhi Thi,
Fir Bhi Hothon Tak Ye ….
Baat Nahi Aayi….
Aaj Tak Jo Nahi Kaha ….
Wo Aaj Mai Tumse Kahna Chahti Hun....
Mera Question Wo Tha Kaun ?
prasneet shhhhh..... :-)
Deleteबहुत मीठी आवाज़ सुंदर पंक्तियाँ ....
ReplyDeleteमुझे जो ख्याल आया वो लिख रहा हूँ....
वही सौंधी खुशबू ,
वही मीठा दर्द,
वही दिन वही महीना,
गुनगुनाती धूप और रातें सर्द,
क्यू फिर आज रंगों से कोई
आसमान सजा गया,
प्यार का रंग जो चारो तरफ
छा गया,
हल्की लाल आँखों से उसका
कनखियों से देखना
चुप रहके मुसकुराना,
बिन कहे सब समझना,
कभी कुछ कहा नहीं उसने ,
फिर कैसे दिल उसकी
गिरफ्त मे आ गया,
सादगी उसका भोलापन
दिल को क्यू भा गया,
ना उसने कुछ कहा कभी
न तुम कह पाये,
जानता वो भी था
समझते तुम भी थे,
फिर क्यू होठों तक कभी
बात नहीं आई,
आज तक जो नहीं कहा
वो क्यू कहा,
महकती हवाओं ये संदेशा
उन तक जरूर ले जाना,
मगर थोड़ा रुकना मिल जाने देना
मुझे मेरे सवाल का जवाब
जो जेहन मे मेरे आ गया
पुंछता हूँ मै फिर आज
तुम्हें उसका क्यू
ख्याल आ गया ....
दो इन सवालों का जवाब ,??
फिर संदेशा उन तक
जरूर पहुंचेगा
तुम्हें उनसे मोहब्बत है ....:P :P
tell tell ??
prasneet wo bs ek khayal hai :-)
DeleteLovely..
ReplyDeletethanx nishant :-)
Deleteपारुल................
ReplyDeleteजानता है वो भी, कि तुम्हें
मोहब्बत है
मोहब्बत है
मोहब्बत है....
ऐसी दीवानगी मोहब्बत के सिवा कहीं होती है भला :-)
keep your heart brimming with love...
great post!!
<3
loved it.
anu
thank you अनु दी love you :-)
Deleteखूबसूरत ख्याल , खुशबू से लबरेज़ ।
ReplyDeleteशुक्रिया अमित जी :-)
Delete"Khayal" - khayalo ko bunana to har koi kar sakta hai lekin unhe prem ke satrangi rango me bhigo kar shabdo ka murt roop dekar aur apni awaj ko prem ke jazbaato me dubo kar khayal ko ek naya ayam diya. subhanallah !!!
ReplyDeleteDear anonymous ..itne sundar comment ke liye shukriya ..lekin agar aap apna naam bhi likhte to aur achha lagta :-)
Deleteखूबसूरत आवाज और आपका यह अंदाज | बहुत खूब,,, पारुल जी बधाई |
ReplyDeleteRecent Post दिन हौले-हौआपका यह अंदाजले ढलता है,
shukriya :-)
Deletesundar rachnaa
ReplyDeleteshukriya :-)
Deleteपारुल .....जी !
ReplyDeleteकोमल एहसास से भरी रचना .दिल की आवाज़ से बयाँ .अहसास महसूस कराते
चित्रों से सज़ी....सब कुछ दिल से ....मुबारक हो |
cataract operation करवाया है ..इसलिए मजबूर हूँ
बस इसी लिए अपने लेपटाप से दूर हूँ ...बस एक-आध दिन और |
aapka bahut bahut shukriya ashok ji aur plz aap mujhe bs parul kahiye :-)
Deleteहुई शाम उनका ख़याल आ गया
ReplyDeleteवही ज़िंदगी का सवाल आ गया
अभी तक तो होंठों पे था
तबस्सुम का एक सिलसिला
बहुत शादमाँ थे हम उनको भूला कर
अचानक ये क्या हो गया
के चहरे पे रंग-ए-मलाल आ गया
हुई शाम उनका...
हमें तो यही था ग़ुरूर
ग़म-ए-यार है हमसे दूर
वही ग़म जिसे हमने किस-किस जतन से
निकाला था इस दिल से दूर
वो चलकर क़यामत की चाल आ गया
हुई शाम उनका...
अब क्या कहें | सुभानाल्लाह जिस मिठास के साथ आपने कविता लिखी है उसी मिठास के साथ पेश भी की ... हम तो लाजवाब हो गए हैं शब्द सभी खो गए हैं | बधाई |
aap to hai hi laajawab tushar :-) aur ye gana wakai bahut khoobsurat hai ...blog par aane ke liye shukriya :-)
Deleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ...आपको बधाई ।
ReplyDeletehttp://theparulsworld.blogspot.in/
शुक्रिया पारुल :-)
DeleteWonderfull composition!
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