औरतें खुश हो जाती हैं
छोटी छोटी चीजों में
मसलन टीवी पर
उनकी पसंद का चैनल चला दिया जाए
या फिर किसी दिन
उनके खाना बनाने की छुट्टी कर दी जाए
ऐसी ही तमाम छोटी छोटी बातें
क्योंकि वो जानती हैं
बड़ी बातें बड़ी चीजें
उनके लिए नहीं हैं
उस बारे में बात करना ही उन्हें
जाहिल गंवार की श्रेणी में खड़ा कर देता है
इसलिए खुश होती हैं छोटी चीजों से,
अपने अपने घर में
सभी साक्षी और सिंधु हैं
जो लड़ रही हैं
अपने वजूद के लिए- नहीं
अपनी इच्छाओं के लिए
उनमें से सबको कहाँ जानते हैं हम
हाँ कुछ एक जो इस लड़ाई में जीत जाती हैं
वो नजर में आ जाती हैं
पर उनका रास्ता कितना पथरीला था
कौन समझेगा !
और बाकी का क्या
कुछेक तो बीच में ही दम तोड़ देती हैं
और कुछ आखिर में
और बाकी सब
अपनी गृहस्थी की गाडी चलाने के लिए
संतुष्ट करती रहती हैं
पुरुष का अहम
खुश होती रहती है
खुश होती नहीं है औरतें अपनी इच्छाएं मार के
बस नाटक भर करती है
गजब की कलाकार होती हैं औरतें ।
छोटी छोटी चीजों में
मसलन टीवी पर
उनकी पसंद का चैनल चला दिया जाए
या फिर किसी दिन
उनके खाना बनाने की छुट्टी कर दी जाए
ऐसी ही तमाम छोटी छोटी बातें
क्योंकि वो जानती हैं
बड़ी बातें बड़ी चीजें
उनके लिए नहीं हैं
उस बारे में बात करना ही उन्हें
जाहिल गंवार की श्रेणी में खड़ा कर देता है
इसलिए खुश होती हैं छोटी चीजों से,
अपने अपने घर में
सभी साक्षी और सिंधु हैं
जो लड़ रही हैं
अपने वजूद के लिए- नहीं
अपनी इच्छाओं के लिए
उनमें से सबको कहाँ जानते हैं हम
हाँ कुछ एक जो इस लड़ाई में जीत जाती हैं
वो नजर में आ जाती हैं
पर उनका रास्ता कितना पथरीला था
कौन समझेगा !
और बाकी का क्या
कुछेक तो बीच में ही दम तोड़ देती हैं
और कुछ आखिर में
और बाकी सब
अपनी गृहस्थी की गाडी चलाने के लिए
संतुष्ट करती रहती हैं
पुरुष का अहम
खुश होती रहती है
खुश होती नहीं है औरतें अपनी इच्छाएं मार के
बस नाटक भर करती है
गजब की कलाकार होती हैं औरतें ।
---पारुल'पंखुरी'
शामली (उत्तर प्रदेश )
२७ अगस्त २०१६