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जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Thursday 18 October 2012

अधूरापन...





अधूरा आकाश


प्यासी धरती का तन


अधूरी बरसात


आधा भीगा मन


अधूरे ख्वाब


ज्यो जल बिन नयन


अधूरी चाहत


तडपाती पवन


अधूरी ख्वाइशे


मचले चितवन


अधूरी धड़कन


अधूरी हर आस


अधूरी बातें


अधूरी हर सांस


अधूरा ये अधूरापन



क्यों जागे फिर जज्बात....!!!



--------पारुल 'पंखुरी'





6 comments:

  1. दुआ है तुम्हारी कोई भी चाह अधूरी न रहे .....बहुत सुंदर ....
    - शिखा

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  2. जज्बात जागे है , मतलब कहीं न कहीं आपका अधूरापन भरने को है |
    मेरी भी दुआएं क़ुबूल कीजिये |

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  3. लगता है मेरे ही अधूरेपन को आपने पहले ही व्यक्त कर दिया था। मुझसे भी अच्छी तरह से >>http://corakagaz.blogspot.in/2013/05/bawara-man.html

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  4. बहुत खूब...एक ठहराव लिये खूबसूरत रचना.
    देव की कृपा आप पर सदैव बनी रहे.

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