पंखुरी के ब्लॉग पे आपका स्वागत है..

जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

मेरी कवितायें पसंद आई तो मुझसे जुड़िये

Tuesday 30 July 2013

मनी प्लांट ...






हाँ ....ऐसा ही है तुम्हारा प्यार
जिसके बीज का अंश ..सीले दिल पे गिरा
बेहिसाब घुटन 

प्रेमरिक्त हवा और खारे पानी से भी
देखो कितना पनप गया है
सारी रुकावटों के बीच अपनी जगह बना ही ली उसने
नए नए एहसासों के पत्ते हर रोज निकलते हैं
महसूस कराते हैं की मै बंजर नहीं
वो भी मेरे दिल की दीवारों के सहारे
मन मस्तिष्क सब जगह पंहुच गया है
डरती हूँ 

कहीं उस नव-पल्लवित पौधे की तरह 
इसे भी कोई काट न दे |

------पारुल'पंखुरी'

Monday 15 July 2013

मिले.. ना मिले...








पथ पे जीवन-पगडण्डी के

पल पल पीड़ा के शूल चुभे

दर्द अब बन गया साथी

राह में फूल मिले.. ना मिले



दिवस बना महीना साल

इन्तजार अनिश्चितकाल

ख़ामोशी अब आदत बन गई

स्याह होठ हिले... ना हिले



मन-क्यारी के सुन्दर फूल

मुरझा गए सब धीरे-धीरे

उजड़ी अब इस बगिया में

कोमल कलियाँ खिले.. ना खिले



जख्म हो गया.. है पुराना

जिंदगी बन गई अफसाना

घाव अब हो गए ढीठ

मरहम कोई मले... ना मले



जीवन है अंधी सुरंग

तनहा ही आगे चलना है

अब चाह किसे ..परवाह किसे

संग कोई चले... ना चले

---------------------------------पारुल'पंखुरी'

Saturday 6 July 2013

इश्क....



वो कहते हैं
ये सपना है  झूठा
इस  वहम  को अब तोड़  दे
मै  कहती हूँ ..
वो हवा अभी चली नहीं
जो मुझे उसके दर पे छोड़ दे ..

वो कहते हैं
किसी की याद में जिंदगी
बिताने से क्या फ़ायदा ...
मै  कहती हूँ ..
प्यार में फ़ायदा नुकसान देखूं ,
मै  नहीं जानती ऐसा कायदा
 
वो कहते हैं ..
यूँ तड़प तड़प के
जवानी बर्बाद नहीं करते
आँखें खोल के देखो .
हजारों आहें भरते हैं ..
मै  कहती हूँ ..
मेरी एक आह उस तक
नाजाने कैसे पहुंचेगी ..
वो कैसे जानेगा की हम
उसपे कितना मरते हैं

वो कहते हैं ...
संभल जा, अब भी वक़्त है
वरना बहुत पछताएगी ..
मै कहती हूँ
एक नजर दीदार की प्यासी हूँ
वो घडी जन्नत का सुकून दे जायेगी

वो कहते हैं ..
पगला गई है तू
तेरा, कुछ हो नहीं सकता
इश्क बर्बाद कर देगा
समझ ले ..ना कर नादानी

मै  कहती हूँ
कैसे छोड़ दू मै  इश्क
जिसे आंसू से सींचा है
बिन जिसके जीवन रीता है
पल पल  आस में जिसकी
मन उम्मीदों की चादर सीता है
उस इश्क को बिसरा दूँ
ये मुझसे हो नहीं सकता
दोहराने दे इतिहास को
फिर वही कहानी
मै  तो हूँ और रहूंगी
उसके प्रेम में दीवानी
-----------------पारुल'पंखुरी'



Monday 1 July 2013

मन की बात ...


सौ तरह की बातें ...
हजारो मचल रहे जज्बात ...
चाहती हूँ शब्दों में बहाना ...
इन्द्रधनुषी स्याही में डुबोकर ..
मन की हर एक बात ....
सोच रही हूँ मन के पंख होते तो ...
उन पंखो को स्याही में डुबोकर
मै खुद ही कागज़ पर बिछ जाती ..
मेरे पंखो के निशान जब रंगबिरंगी स्याही में डूबते
और कागज़ पर उड़ान भरते
तो वही मेरे दिल का सार हाल बयां कर पाते
वही मेरे दिल का हाल बयां कर पाते...

-------------पारुल 'पंखुरी '
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...